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आजम पर अखिलेश की खामोशी और मुलायम का हल्ला बोल, क्या हैं इसके राजनैतिक मायने

Published : Sep 04, 2019, 11:45 AM IST
आजम पर अखिलेश की खामोशी और मुलायम का हल्ला बोल, क्या हैं इसके राजनैतिक मायने

सार

असल में रामपुर जिला प्रशासन ने जमीन पर कब्जा करने के मामले में भू-माफिया घोषित किया है। यही नहीं आजम खां के खिलाफ करीब छह दर्जन मुकदमे दर्ज होने के बाद समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को आजम खां के समर्थन में उतरना पड़ा है। हालांकि पिछले दिनों सपा ने रामपुर में विरोध प्रदर्शन किया था। लेकिन फिलहाल आजम के मुद्दे पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव खामोश हैं। 

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपने करीबी और रामपुर से सांसद आजम खां के पक्ष में पहली बार खुलकर मीडिया के सामने आए। मुलायम सिंह ने मीडिया की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि वह आजम के खिलाफ हल्ला बोल करें। लेकिन दिलचस्प ये है कि पार्टी में मुस्लिमों का सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले आजम खान के समर्थन में मुलायम को छोड़कर को भी पार्टी का बड़ा नेता खड़ा नहीं था। सभी ने मुलायम की पत्रकारवार्ता से दूरी बनाकर रखी थी। यहां तक कि लखनऊ में अखिलेश यादव के मौजूद रहने के बावजूद वह मुलायम की पत्रकारवार्ता में नहीं गए।

असल में रामपुर जिला प्रशासन ने जमीन पर कब्जा करने के मामले में भू-माफिया घोषित किया है। यही नहीं आजम खां के खिलाफ करीब छह दर्जन मुकदमे दर्ज होने के बाद समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को आजम खां के समर्थन में उतरना पड़ा है। हालांकि पिछले दिनों सपा ने रामपुर में विरोध प्रदर्शन किया था। लेकिन फिलहाल आजम के मुद्दे पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव खामोश हैं। अभी तक अखिलेश यादव ने आजम खां से इस मामले में दूरी बनाई।

क्योंकि स्थानीय स्तर पर सपा मुखिया को जो संदेश दिया गया है। उसके मुताबिक आजम खान के दोष आने वाले दिनों में सिद्ध हो सकते हैं। लिहाजा पार्टी आजम से दूरी बनाकर चल रही है। ताकि भविष्य में उसे कोई बड़ा राजनैतिक नुकसान न हो। असल में अखिलेश के मुख्यमंत्री रहते हुए आजम खान एक सामान्तर मुख्यमंत्री माने जाते थे। मुलायम की पत्रकार वार्ता में न केवल अखिलेश प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी और विधानपरिषद में दल नेता अहमद हसन भी उनके साथ मौजूद नहीं थे।

लिहाजा पार्टी के भीतर आजम को चल रही राजनीति खुलकर सामने आ रही है। एक बड़ा तबका आजम खान के खिलाफ है तो मुलायम अपने पुराने समर्थकों के साथ आजम खान को सियासी समर्थन देकर उनका हौसला बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। मंगलवार की पत्रकारवार्ता इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि मुलायम सिंह यादव दो साल बार पत्रकारों से मुखातिब हुए, लेकिन मंच पर अकेले पड़ गए।

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