समाजवादी पार्टी अपने बुरे दौर में गुजर रही है। लगातार समाजवादी पार्टी को तीसरी हार का सामना करना पड़ा है। पहले 2014 में लोकसभा चुनाव में हार मिली फिर 2017 के विधानसभा चुनाव और अब निवर्तमान लोकसभा चुनाव में करारी हार से समाजवादी पार्टी के सामने अस्तित्व का संकट छाने लगा है। इन सब हारों के लिए एसपी प्रमुख अखिलेश यादव को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
पहले लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी हार फिर सहयोगी दल बहुजन समाज पार्टी द्वारा गठबंधन तोड़ने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अब संघ की राह पर चलेंगे। अखिलेश समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संघ की तरह तैयार करेंगे और प्रशिक्षण देंगे। ताकि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को फिर से तैयार किया जा सके।
समाजवादी पार्टी अपने बुरे दौर में गुजर रही है। लगातार समाजवादी पार्टी को तीसरी हार का सामना करना पड़ा है। पहले 2014 में लोकसभा चुनाव में हार मिली फिर 2017 के विधानसभा चुनाव और अब निवर्तमान लोकसभा चुनाव में करारी हार से समाजवादी पार्टी के सामने अस्तित्व का संकट छाने लगा है।
इन सब हारों के लिए एसपी प्रमुख अखिलेश यादव को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। क्योंकि अखिलेश ने ही जिद कर 2017 में कांग्रेस के साथ और 2019 में बीएसपी के साथ चुनावी गठजोड़ किया था। लेकिन पार्टी को इससे फायदा नहीं हुआ है। बल्कि पार्टी को ही नुकसान उठाना पड़ा है।
लोकसभा चुनाव 2014 में जहां बीएससी राज्य में अपना खाता तक नहीं खोल पायी थी वहीं 2019 में पार्टी के प्रत्याशी 10 सीटों पर जीते हैं। लेकिन एसपी महज पांच सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी है। वहीं बीएसपी ने राज्य में एसपी के साथ चुनावी गठबंधन भी खत्म करने का फैसला किया है। जो अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका है।
लिहाजा अब अखिलेश यादव ने पार्टी को नये सिरे से मजबूती देने की रणनीति पर फोकस करना शुरू कर दिया है। एसपी ने विधानसभा स्तर पर समाजवादी कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर शुरू करने का फैसला किया है। इस तरह के प्रशिक्षण शिविर संघ लगाता है, जिसमें कार्यकर्ताओं को तैयार किया जाता है।
अखिलेश ने लखनऊ में कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर एक आम कार्यकर्ता के तौर पर बातचीत की और हार के कारणों की बारिखियों को जाना। लिहाजा अखिलेश ने संगठन को मजबूती और अनुशासन लाने के लिए समाजवादी कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर लगाने का फैसला किया है।
इसके साथ ही पार्टी में सभी वर्गों को जोड़ा जाएगा। जबकि अभी तक एसपी को यादव मुस्लिम की पार्टी ही माना जाता है। इन शिविरों में पार्टी धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद का पाठ पढ़ाएगी और लोगों से जोड़ने के गुर सिखाएगी। ताकि 2022 में पार्टी को फिर से सत्ता पर काबिज किया जा सके।