माया के दबाव में झुके अखिलेश, जिसके कारण परिवार में पड़ी फूट अब उसी का करना पड़ रहा है चुनाव प्रचार

By Team MyNation  |  First Published May 11, 2019, 2:02 PM IST

गाजीपुर के ग्राम्य विकास संस्थान मैदान में 13 मई को अखिलेश यादव और मायावती की संयुक्त रैली है। ये संयुक्त रैली बीएसपी प्रत्याशी अफजाल अंसारी के लिए रखी गयी है। जिसमें दोनों नेता जनता से  उनके लिए वोट मांगेंगे। अफजाल अंसारी माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई हैं। अफजाल अंसारी और उनके भाई ने कुछ साल पहले कौमी एकता दल बनाकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था।

राजनीति में कई बार ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जो मन ने नहीं बल्कि मजबूरी में लिए जाते हैं। ऐसा ही एक बड़ा फैसला अब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेना पड़ा है। अखिलेश यादव के परिवार में जिस मुख्तार अंसारी बंधुओं को पार्टी में लेने को लेकर फूट पड़ी अब उसी अंसारी बंधुओं के लिए अखिलेश यादव को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के दबाव में वोट मांगने पड़ रहे हैं। मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से बीएसपी के प्रत्याशी हैं।

गाजीपुर के ग्राम्य विकास संस्थान मैदान में 13 मई को अखिलेश यादव और मायावती की संयुक्त रैली है। ये संयुक्त रैली बीएसपी प्रत्याशी अफजाल अंसारी के लिए रखी गयी है। जिसमें दोनों नेता जनता से  उनके लिए वोट मांगेंगे। अफजाल अंसारी माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई हैं। अफजाल अंसारी और उनके भाई ने कुछ साल पहले कौमी एकता दल बनाकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था।

इसके बाद अंसारी बंधुओं ने अपनी पार्टी का एसपी में विलय कराने की पूरी तैयार कर ली थी और उस वक्त एसपी के प्रदेश अध्यक्ष और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह ने इसके लिए हरी झंडी भी दे दी थी। लेकिन अखिलेश इसके खिलाफ हो गए और उन्होंने कहा कि वह किसी माफिया को पार्टी में शामिल नहीं करेंगे। अखिलेश अंसारी बंधुओं को एसपी में शामिल करने से इतने खफा हो गए कि उन्होंने इस विलय में अहम भूमिका निभाने वाले बलराम यादव को उन्होंने कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था।

इसके बाद अंसारी बंधुओं ने अखिलेश के खिलाफ कई बयान दिए और बाद में अंसारी बंधुओं ने अपनी पार्टी का विलय बीएसपी में कराया। हालांकि अब राज्य की फिजा बदल गयी है। बीएसपी और एसपी गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं। तो अखिलेश यादव गाजीपुर में अफजाल अंसारी को जिताने के लिए पसीना बहाएंगे और जनता से उन्हें जिताने के लिए अपील करेंगे। हालांकि पहले यहां पर अकेले मायावती की रैली थी, लेकिन बाद में इसमें अखिलेश यादव का नाम भी शामिल किया गया।

click me!