कोलकाता के मेयर फरहाद हाकिम ने कहा, चुनाव आयोग को यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि मुस्लिम रोजा रखेंगे और अपना वोट भी डालेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा चाहती है कि अल्पसंख्यक अपना वोट न डाल पाएं लेकिन हम चिंतित नहीं हैं।
चुनाव आयोग ने 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव की तारीखें घोषित कर दी हैं। इस बार सात चरण में लोकसभा चुनाव कराए जाएंगे। हालांकि तारीखों की घोषणा होने के साथ ही नया विवाद भी खड़ा हो गया है। तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में वोटिंग की तारीखें रमजान के महीने में पड़ रही हैं। ऐसे में मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाया है।
चुनाव की तारीखों के खिलाफ सबसे पहली आवाज पश्चिम बंगाल से उठी। कोलकाता के मेयर और टीएमसी नेता फिरहाद हाकिम ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। हम उसका सम्मान करते हैं। हम उसके खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन सात चरण के चुनाव बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए कठिन होंगे। सबसे ज्यादा परेशानी मुस्लिमों को होगी क्योंकि मतदान की तारीखें रमजान के महीने में रखी गई हैं।
उन्होंने कहा, इन तीन राज्यों में अल्पसंख्यकों की आबादी बहुत ज्यादा है। चुनाव आयोग को यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि मुस्लिम रोजा रखेंगे और अपना वोट भी डालेंगे। फरहाद हाकिम ने आरोप लगाया कि भाजपा चाहती है कि अल्पसंख्यक अपना वोट न डाल पाएं लेकिन हम चिंतित नहीं हैं। लोग अब 'भाजपा हटाओ-देश बचाओ' के लिए प्रतिबद्ध हैं।
Firhad Hakim, Kolkata Mayor&TMC leader: Minority population in these 3 states is quite high. They'll cast votes by observing 'roza'. EC should've kept this in mind. BJP wants minorities to not cast their votes.But we aren't worried. People are committed to 'BJP hatao-desh bachao' https://t.co/7MCnrgrDqE
— ANI (@ANI)उधर, इस्लामिक स्कॉलर, लखनऊ ईदगाह के इमाम और शहरकाजी मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने भी चुनावों की इन तारीखों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, इन तारीखों को रमजान से पहले या फिर ईद के बाद रखा जाए। फिरंगी महली ने कहा, 'चुनाव आयोग ने यूपी में 6,12 और 19 को भी वोट डालने का कहा है। जबकि 5 मई की रमजान मुबारक का चांद दिख सकता है 6 से रमजान का मुबारक महीना शुरू होगा। तीनों तारीखें रमजान के महीने में पड़ेंगी जिससे मुसलमानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।' हम चुनाव आयोग से गुजारिश करते हैं कि चुनाव की तारीखें रमजान से पहले या ईद के बाद रखें ताकि ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम वोट डालने निकलें और उन्हें कोई परेशानी न हो।