डीओपीटी की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, 2015 से जनवरी 2018 के बीच आईएएस अधिकारी के खिलाफ कुल 23 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 15 मामले विचाराधीन हैं।
केंद्र सरकार एक बार फिर नौकरशाहों के कामकाज की समीक्षा करने जा रही है। इसके बाद खराब प्रदर्शन करने वाले कुछ ब्यूरोक्रेट्स की छुट्टी की जा सकती है। ऐसा पहली बार नहीं है जब सरकार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को समय से पहले रिटायर करने जा रही है। 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एक समिति ने दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी की छुट्टी कर दी थी।
इस प्रक्रिया से जुड़े एक सूत्र ने बताया, 'सरकार जल्द ही ब्यूरोक्रेट्स के प्रदर्शन की समीक्षा करने वाली है। इनमें से कुछ को सेवा से हटाया जा सकता है।'
वर्ष 2017 में मोदी सरकार ने अच्छा काम न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। यूटी कैडर के आईएएस के नरसिम्हा को सेवा से हटा दिया गया था। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे। जब उनके खिलाफ कार्रवाई की गई तो सीबीआई उनसे जुड़े आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामले की जांच कर रही थी।
इस बार भी, कुछ मामलों की बारीकी से पड़ताल की जाएगी। डीओपीटी की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, 2015 से जनवरी 2018 के बीच आईएएस अधिकारी के खिलाफ कुल 23 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 15 मामले विचाराधीन हैं।
इसी तरह, 2015 से इस साल जुलाई के बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 5 आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के छह मामले दर्ज किए हैं। इनमें एक बिहार कैडर के अधिकारी भी शामिल हैं, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए थे।
पूर्व की तरह, इस बार भी कुछ केंद्र शासित प्रदेश कैडर के अधिकारी जांच के दायरे में हैं। पिछली बार भी जिन तीन अधिकारियों की छुट्टी की गई थी, उनमें से दो यूटी (यूनियन टेरिटरी) कैडर के थे।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति अधिकारियों के नाम पर अंतिम फैसला लेगी। उनके खिलाफ अखिल भारतीय सेवाएं (मृत्यु सह. सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16 (3) के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इस नियम के तहत केंद्र सरकार किसी सरकारी अधिकारी को कुछ परिस्थितियों में सेवानिवृत्त कर सकती है। विशेष मामलों को छोड़कर अखिल भारतीय सेवाओं में दो बार सेवा समीक्षा की जाती है।'