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पीएम मोदी ने क्यों कहा, 'मुझे मिलने वाली गालियों की चिंता न करें'

Published : Apr 26, 2019, 06:24 PM IST
पीएम मोदी ने क्यों कहा, 'मुझे मिलने वाली गालियों की चिंता न करें'

सार

वाराणसी से नामांकन करने से पहले बूथ अध्यक्षों और सेक्टर प्रमुखों को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं गंदी से गंदी चीज से भी खाद बना लेता हूं और उसी से कमल खिलाता हूं।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में नामांकन करने से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद किया। पीएम ने पार्टी के बूथ अध्यक्षों को आलोचनाओं से बेपरवाह रहने की नसीहत देते हुए कहा कि ‘कोई मोदी को कितनी भी गाली दे, चिंता ना करें।’ पीएम ने दावा किया कि वह कचरे से ‘कमल’ खिलाना जानते हैं।

पीएम मोदी ने कहा, प्रधानमंत्री, सांसद और कार्यकर्ता के रूप में जिम्मेदारी निभा पा रहा हूं, ये आपने मुझे सिखाया है। आज हमारी पार्टी बढ़ी है उसका कारण टीवी या अखबार नहीं बल्कि हम कार्यकर्ता हैं। जैसे रामजी के पास वानर सेना और कृष्ण जी के पास ग्वाले थे, वैसे ही भारत मां के हम सिपाही हैं।  

पीएम ने कार्यकर्ताओं से कहा, 'ये चुनाव जंग नहीं है। ये लोकतंत्र का उत्सव है। हमें जनता का दिल जीतने में जिंदगी खपानी है। हम दिल जीतने निकले हैं, दल तो अपने आप जीत जाएगा।'

वाराणसी से नामांकन करने से पहले बूथ अध्यक्षों और सेक्टर प्रमुखों को संबोधित करते हुए कहा, 'कोई मोदी को कितनी भी भद्दी गाली दे, आप चिंता मत करो।' प्रधानमंत्री ने एक किस्सा भी सुनाया, 'एक बार एक सज्जन जा रहे थे। लोग बहुत गालियां दे रहे थे। वो सुन रहे थे। लोग हाथ लंबा करके उसे गाली दे रहे थे और वे चले जा रहे थे।' मोदी ने किस्सा जारी रखते हुए कहा, 'कहीं पर पहुंचे तो लोगों ने उनसे पूछा कि इतने सारे लोग आपको गालियां दे रहे हैं। कह रहे हैं कि चोर है, ये है, वो है और आप क्यों ऐसा चल रहे हो। कुछ चिंता ही नहीं है आपको। आप पर कोई असर ही नहीं है। उसने कहा, देखो भाई। तुम बाजार में कुछ भी लेने जाओगे और लिए बिना आओगे तो तुम्हारे घर कुछ आएगा क्या ? जिसे जो देना है, देता रहे। अगर मेरी जेब में जगह ही नहीं है तो मैं कहां ले जाता हूं। मैं अपनी मस्ती से गुजरता हूं ।' 

मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा, 'जिसको जो गाली देनी है, वो सारी आप मोदी के खाते में पोस्ट कर दो। मैं गंदी से गंदी चीज से भी खाद बना लेता हूं। कितना ही गंदा, कूडा, कचरा हो, मैं उससे खाद बनाता हूं और उसी से कमल खिलाता हूं।'

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