मुलायम सिंह ऐसा क्यों चाहते हैं कि पीएम मोदी वापस आएं ?

By Siddhartha Rai  |  First Published Feb 13, 2019, 8:30 PM IST

कभी पहलवानी के अखाड़े में दांव आजमा चुके समाजवादी पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव बुधवार को सोलहवीं लोकसभा के आखिरी दिन खबरों के घेरे में आ गए। मौका था अगले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का। 
 

उन्होंने ना केवल कांग्रेस के नेतृत्व में पूरे विपक्ष का हवा निकाल दी, बल्कि अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए भी असहज स्थिति पैदा कर दी, जो कि उत्तर प्रदेश में बने महागठबंधन की अगुवाई कर रहे हैं। 
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल की इच्छा जाहिर की है। यह यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के लिए हतप्रभ कर देने वाली स्थिति थी, जो कि उनके ठीक बगल में बैठी थीं। जब मुलायम सिंह कैमरों की सुर्खियां बने हुए थे तो उनके फ्रेम में सोनिया गांधी भी आ रही थीं, जो जबरन मुस्कुराने के लिए विवश थीं। 

अपने बयान के दौरान मुलायम सिंह यादव ने जो कहा वह सत्ता पक्ष के लिए बेहद सुखद समाचार था। 

‘हम तो इतना बहुमत नहीं ला सकते हैं। प्रधानमंत्री जी आप फिर से पीएम बनकर आएं।’ इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने हाथ जोड़ दिए। 
 
स्तब्ध रह गए कांग्रेस और अखिलेश 

 बहुमत हासिल न करने वाली बात कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष के लिए बेहद बुरा समाचार है। यह सोनिया और राहुल गांधी को रक्षात्मक मुद्रा में ला देगा और वे यह तय नहीं कर पाएंगे कि आखिर किस दोस्त पर भरोसा किया जाए। 

उधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मौका न चूकते हुए तुरंत पूरे सम्मान के साथ मुलायम के आगे हाथ जोड़ दिए और सिर झुका दिया। सिर्फ इसलिए नहीं कि मुलायम ने उनके फिर से प्रधानमंत्री चुनकर आने की कामना की थी। बल्कि इसलिए कि उनके इस कथन ने मोदी सरकार के उपर कांग्रेस और उससे समर्थित दूसरे दलों के खोखले हमलों की पोल खोलकर रख दी। 

जब वरिष्ठ समाजवादी और यूपी के यादव समुदाय के सर्वमानित नेता ने सभापति को धन्यवाद देते हुए इन सभी सदस्यों के लोकसभा में वापस चुनकर आने की कामना की, तो सोनिया गांधी की असहजता साफ दिख रही थी। जाहिर सी बात है मुलायम के बेटे अखिलेश भी इसकी वजह से असमंजस में पड़ गए होंगे। 
 

मायावती के पुराने घाव टीस गए होंगे
मुलायम सिंह यादव के आज के बयान ने न केवल उनके बेटे अखिलेश की महागठबंधन राजनीति में पलीता लगा दिया है। बल्कि उनकी नवीनतम राजनीतिक सहयोगी मायावती को भी बड़ा झटका दिया है। मुलायम ने उनके गेस्टहाउस कांड वाले जख्म कुरेद दिये हैं। 

बताया जाता है कि 1995 में सपा कार्यकर्ताओं की भीड़ ने लखनऊ के वीवीआईपी गेस्टहाउस में मायावती की हत्या करने की कोशिश की थी। इस घटना के बाद बीएसपी ने मुलायम सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। 
 
यादव मतदाताओं के लिए संदेश 

इस बीच हो सकता है कि मुलायम यादव समुदाय के मतदाताओं को संदेश देना चाहते हों। जहां उन्हें अब भी सबसे सम्मानित प्राप्त है। उनके इस बयान को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों ने माय नेशन को बताया कि मुलायम के इस बयान ने यादव समुदाय के बहुत से मतदाताओं को बीजेपी के लिए वोट करने का बहाना दे दिया है। अब महागठबंधन को वोट न देने पर उनके उपर समुदाय से गद्दारी का आरोप नहीं चस्पां किया जा सकेगा। 

इसमें से यादव समुदाय के पढ़े लिखे तबके की भूमिका हो सकती है जिनपर अखिलेश यादव भी भरोसा करते हैं। पुराने खयालात वाले यादव समुदाय के लोग अब भी शिवपाल यादव के साथ एकजुट हैं। मुलायम यहां पर अपने खानदान में छिड़े युद्ध में भाई शिवपाल के साथ खड़े दिख रहे हैं। 

पुरानी पीढ़ी के यादव समुदाय के लोगों के लिए मुलायम का यह भाषण सीधे तौर पर शिवपाल के साथ जाने का आदेश है। उत्तर प्रदेश मे ज्यादातर लोग शिवपाल को बीजेपी की बी-टीम मानते हैं। मुलायम का यह बड़ा बयान उन्हें भविष्य में सत्ता की राजनीति में बने रहने का मौका प्रदान करेगा। 

दरअसल यादव समुदाय के सामने पहले भी असमंजस की स्थिति थी कि वह कैसे ताकतवर ओबीसी जाति के वोट मायावती के उम्मीदवारों के पाले में जा पाएंगे। लेकिन मुलायम के आज के बयान ने उनके सामने स्थिति साफ कर दी है। 

और अगर कांग्रेस 2014 से थोड़ी ज्यादा बेहतर स्थिति हासिल कर पाने में कामयाब होती भी है तो वह सिर्फ विपक्षी पार्टियों का वोट काटेगी, जिससे बीजेपी को मदद ही मिलेगी। 

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