जानें क्यों महाराष्ट्र का फार्मूला झारखंड में लागू कर रही है भाजपा

By Team MyNationFirst Published Oct 23, 2019, 5:06 PM IST
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भाजपा ने झारखंड में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 6 विपक्षी विधायकों को तोड़ लिया है। इसमें सबसे अहम कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को कांग्रेस से तोड़कर पार्टी में शामिल किया है। भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और मनोज यादव को पार्टी शामिल किया है। हालांकि ये दोनों नेता काफी पहले से भाजपा के रडार पर थे।

रांची। भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र का फार्मूला अब झारखंड में  लागू कर रही है। महाराष्ट्र की तर्ज पर भाजपा विपक्ष के नेताओं को तोड़कर पार्टी में शामिल रह रही है। इससे एक तरफ पार्टी मजबूत हो रही है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष कमजोर हो रहा है।

भाजपा ने झारखंड में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 6 विपक्षी विधायकों को तोड़ लिया है। इसमें सबसे अहम कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को कांग्रेस से तोड़कर पार्टी में शामिल किया है। भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और मनोज यादव को पार्टी शामिल किया है। हालांकि ये दोनों नेता काफी पहले से भाजपा के रडार पर थे। असल में भगत मौजूदा पीसीसी अध्यक्ष रामेश्वर उरांव से नाराज चल रहे थे।

जिसके कारण उन्होंने पार्टी से किनारा किया है। ये कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने पार्टी से किनारा कर दिल्ली में आम आदमी का दामन थाम लिया था। भाजपा में शामिल होने वालों में कांग्रेस के दो और झारखंड मुक्ति मोर्चा के 3 विधायक हैं। इसके साथ ही एक अन्य विधायक नौजवान संघर्ष मोर्चा का है। विधानसभा चुनाव से पहले ये विपक्षी दलों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वहां ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई और विधायक और नेता भाजपा का दामन थाम सकते हैं।

क्योंकि राज्य में भाजपा की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है। जिसके कारण विपक्ष दल पाला बदल सकते हैं। विपक्षी दलों के विधायकों को मुख्यमंत्री रघुबर दास ने औपचारिक रूप से सदस्यता दिलाई। भाजपा में शामिल होने वालों में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत , मनोज यादव (कांग्रेस), कुणाल सारंगी (जेएमएम), जेपी भाई पटेल (जेएमएम), चमरा लिंडा (जेएमएम) और भानु प्रताप शाही (नौजवान संघर्ष मोर्चा) हैं। हालांकि इन नेताओं के साथ ही कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है।

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