जानें आखिर क्यों हुई आजम खां और उनके परिवार पर एफआईआर

By Team MyNation  |  First Published Jan 4, 2019, 11:24 AM IST

समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री आजम खां और विधायक बेटे और सांसद पत्नी के खिलाफ फर्जीवाड़े का मुकद्मा दर्ज हुआ है। इससे आजम के परिवार की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। हालांकि आजम और उनका परिवार इसे राजनैतिक साजिश बता रहा है। 

समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री आजम खां और विधायक बेटे और सांसद पत्नी के खिलाफ फर्जीवाड़े का मुकद्मा दर्ज हुआ है। इससे आजम के परिवार की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। हालांकि आजम और उनका परिवार इसे राजनैतिक साजिश बता रहा है। लेकिन आजम और उनके बेटे पर दो फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के लिए मुकद्मा दर्ज किया गया है।

बहरहाल पूर्व मंत्री एवं रामपुर शहर से सपा विधायक मोहम्मद आजम खां अपने विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम के दो अलग-अलग स्थानों पर जन्म के प्रमाणपत्र बनवाने के मामले में कानूनी शिकंजे में फंस गए हैं। हालांकि आजम परिवार इसे राजनैतिक साजिश बनाकर अपने दामन को बचाना चाहता है। लेकिन तथ्यों के आधार पर ये सिद्ध हो रहा है कि आजम ने परिवार के साथ मिलकर फर्जी प्रमाणपत्र बनाए हैं। अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र बने हैं और दोनों पर ही अलग-अलग पासपोर्ट भी बनवाया गया है। इसके लिए भाजपा नेता आकाश सक्सेना लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में आजम खां, अब्दुल्ला आजम एवं राज्यसभा सदस्य डा. तजीन फात्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

हालांकि सक्सेना ने दिसंबर में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र और दो पासपोर्ट होने के संबंध में दस्तावेज दिखाए थे। सक्सेना का आरोप है कि आजम ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए इन प्रमाण पत्रों को बनाया है और वह उस वक्त राज्य के मंत्री थे। जबकि नगर निगम उनके अधीन था। सक्सेना ने दावा किया था कि सपा विधायक एवं पूर्व मंत्री मो. आजम खां तथा उनकी पत्नी एवं राज्यसभा सांसद तजीन फात्मा ने अपने विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम के दो-दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाए। पहला जन्म प्रमाणपत्र माता-पिता की ओर से शपथ पत्र देकर नगर पालिका परिषद रामपुर से 28 जून 2012 को बनवाया गया था, जबकि दूसरा जन्म प्रमाणपत्र लखनऊ नगर निगम से 21 जनवरी 2015 को जारी किया गया।

सक्सेना ने इसके लिए गृह विभाग से शिकायत की थी और उसके बाद प्रमुख सचिव गृह ने इसके लिए जांच बैठाई थी। ऐसा माना जा रहा है कि अब्दुला के पासपोर्ट जारी करने में बरेली के पासपोर्ट अधिकारी ने भी कोताही बरती। लिहाजा आने वाले समय में तत्कालीन पासपोर्ट अफसर के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।
 

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