सीताराम पहले कांग्रेस में थे, वहां महत्व नहीं मिला तो भाजपा में आए। दो चुनाव हारे, तीसरी बार में सफलता मिली है। उनका कहना है कि उनके पास पैसा नहीं है, इसलिए अपने परिवार के साथ झोपड़ीनुमा कच्चे मकान मे रहते हैं।
आज के समय में माना जाता है कि चुनाव लड़ना आसान नहीं है। इसके लिए काफी राशि खर्च करनी होती है। लेकिन मध्य प्रदेश की विजयपुर विधानसभा से जीतकर विधायक बने भाजपा नेता सीताराम की कहानी सबसे अलग है। वह आदिवासी हैं। श्योपुर जिले में परिवार के साथ रहते हैं। विधायक के पास अपना पक्का घर तक नहीं है। झोपड़ीनुमा में रहते हैं। जनता के लिए संघर्ष करते हैं। यही वजह है कि अब विधायक बनने के बाद जनता उन्हें रिटर्न गिफ्ट देने की तैयारी कर रही है। इलाके के लोगों ने आपसी सहयोग से पैसे इकट्ठे किए हैं ताकि विधायक सीताराम का पक्का मकान का काम पूरा हो सके।
सीताराम पहले कांग्रेस में थे, वहां महत्व नहीं मिला तो भाजपा में आए। दो चुनाव हारे, तीसरी बार में सफलता मिली है। उनका कहना है कि उनके पास पैसा नहीं है, इसलिए अपने परिवार के साथ झोपड़ीनुमा कच्चे मकान मे रहते हैं। सीताराम ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता रामनिवास रावत को हराया। सीताराम का यह तीसरा चुनाव था। उनका रहन-सहन ठेठ गांव का है। वह शाम के समय अपनी झोपड़ी के बाहर खटिया पर बैठ कर आग तापते मिल जाते हैं। सुबह में शॉल ओढ़े, धूप सेंकते पंचायत करते हैं।
विधायक सीताराम के प्रशंसक धनराज के मुताबिक, अच्छा नहीं लगता कि उनका जनप्रतिनिधि झोपड़ी में रहे। यही कारण है कि सबने चंदा करके पक्का मकान बनाने की योजना बनाई है, इस पर अमल भी शुरू हो गया है।
सीताराम कराहल विकासखंड के पिपरानी गांव के रहने वाले हैं। इसी गांव में अब उनका पक्का मकान बनाया जा रहा है। वह खुद कहते हैं कि लोगों ने सहयोग के तौर पर 500-1000 रुपये करके दिए हैं। इतना ही नहीं, कई स्थानों पर सिक्कों से भी तौला गया है। इस रकम से मकान निर्माण का शुरू कर दिया गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सीताराम हमेशा उनके लिए संघर्ष करते हैं। जब जहां जरूरत होती है, साथ जाने से नहीं हिचकते। सभी चाहते हैं कि विधायक उनके बीच ही रहें। यही वजह है कि लोगों ने उनका मकान बनाने के लिए चंदा इकठ्ठा किया है।
सीताराम की पत्नी इमरती देवी का कहना है कि उनके पति और परिवार ने लंबे अरसे से संघर्ष किया है। अब दिन फिरे हैं, उम्मीद है कि आने वाले समय में उनकी स्थिति सुधरेगी और जीवन सुखमय होगा। सीताराम तो जनता के काम हो ही अपना काम मानते हैं, इसलिए जनता भी उन्हें अपना मानती है।