भाजपा के नए अध्यक्ष नड्डा आज से यूपी दौरे पर, जानें दिल्ली के बजाय क्यों चुना आगरा

By Team MyNation  |  First Published Jan 23, 2020, 8:10 AM IST

दो दिन पहले ही जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं और इससे पहले वह कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर थे। हालांकि नड्डा का यूपी से संबंध काफी पुराना है। उन्हें कई बार उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी जा चुकी है। जबकि इससे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेन्द्र मोदी यूपी से ही सियासी पारी का आगाज कर चुके हैं।

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा आज से उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। वह आज आगरा से अपने दौरे की शुरूआत करेंगे और आगरा में नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के समर्थन में आयोजित रैली को संबोधित करेंगे। जबकि दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने हैं। लेकिन नड्डा यूपी में अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं। लिहाजा यूपी  के महत्व को समझा जा सकता है।

दो दिन पहले ही जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं और इससे पहले वह कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर थे। हालांकि नड्डा का यूपी से संबंध काफी पुराना है। उन्हें कई बार उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी जा चुकी है। जबकि इससे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेन्द्र मोदी यूपी से ही सियासी पारी का आगाज कर चुके हैं। पिछले पांच साल में नड्डा ऐसे तीसरे बड़े नेता हैं जो यूपी ने अपनी नई पारी को शुरू करने जा रहे हैं।

फिलहाल आज नड्डा आगरा में नागरिकता संशोधन कानून के लिए आयोजन समर्थन रैली को संबोधित करेंगे। दो दिन पहले ही केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ में इसके समर्थन में रैली का आयोजन किया था। जबकि इसी के लिए जनजागरण की शुरुआत नड्डा गाजियाबाद से चुके हैं। हालांकि उस वक्त वह कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर थे। वहीं पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर रैली की शुरूआत करने की अहमियत को भी समझा जा सकता है।

क्योंकि उत्तर प्रदेश में न सिर्फ बड़ी आबादी है बल्कि लोकसभा की यहां से 80 सीटें भी हैं। जो देश की राजनीति को तय करती हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यहां पर अच्छा प्रदर्शन किया है। वहीं राज्य में अब भाजपा की सरकार है। लिहाजा भाजपा के एजेंडे में यूपी सबसे अहम है। अमित शाह ने यूपी के जरिए ही भाजपा को दिल्ली में सत्ता दिलाई थी और पहली बार भाजपा 2014 में 73 सीटें जीतकर सत्ता में काबिज हुई थी। 

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