वाराणसी में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते पीएम ने कहा कि बंगाल में हिंसा को एक प्रकार से मान्यता दे दी गई है। यह हमारे सामने बहुत बड़ा संकट है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा को राजनीतिक हिंसा की सबसे बड़ा शिकार बताया है। उन्होंने वाराणसी में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, पश्चिम बंगाल में हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या उनकी विचारधारा के कारण हो रही है। पीएम के इस बयान को उस टीस से जोड़कर देखा जा रहा है, जो बंगाल में सियासी हिंसा में भाजपा कार्यकर्ताओं के मारे जाने को लेकर उनके मन में है।
पीएम ने कहा, जैसे दो शक्ति हैं, नीति और रीति जैसे दो शक्ति हैं, नीति और रणनीति जैसे दो शक्ति हैं, पारदर्शिता और परिश्रम जैसे दो शक्ति हैं, वर्क एंड वर्कर वैसे ही दो संकट भी हमने लगातार झेले हैं- एक राजनीतिक हिंसा और दूसरा राजनीतिक अस्पृश्यता।
उन्होंने कहा,‘चाहे केरल हो, कश्मीर हो, बंगाल या फिर त्रिपुरा हो, वहां हमारे कई कार्यकर्ताओं ने शहादत मोल ली है। उन्हें सिर्फ राजनीतिक विचारधारा के कारण मौत के घाट उतार दिया गया। बंगाल में आज भी हत्याओं का दौर नहीं रुक रहा। केरल में भी हमें मौत के घाट उतार दिया जाता है। शायद ही कोई दल इतनी व्यापक हिंसा का शिकार हुआ है। हिंसा को एक प्रकार से मान्यता दी गई है। यह हमारे सामने बहुत बड़ा संकट है।’
जैसे दो शक्ति हैं, नीति और रीति
जैसे दो शक्ति हैं, नीति और रणनीति
जैसे दो शक्ति हैं, पारदर्शिता और परिश्रम
जैसे दो शक्ति हैं, वर्क एंड वर्कर
वैसे ही दो संकट भी हमने लगातार झेले हैं-
एक राजनीतिक हिंसा और दूसरा राजनीतिक अस्पृश्यता: पीएम मोदी pic.twitter.com/1uzkO1fivo
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से हमारे देश में राजनीतिक छुआछूत दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। भाजपा का नाम लेते ही यह कहा जाता है कि इन्हें छुओ नहीं, ये खतरनाक हैं। दरअसल, हम विभाजन के पैरोकार नहीं है। हम एकता के मार्ग पर चलते हैं। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब मैंने उसके प्रचार-प्रसार के लिए फिल्म जगत की मदद ली, तो शोर मच गया कि अरे आप और गुजरात ! दरअसल कमियां हममे में भी होंगी, लेकिन इरादे हमारे नेक हैं।’
मोदी ने कहा कि देश की राजनीति में ईमानदारी से लोकतंत्र को रग—रग में लेकर जीने वाला अगर कोई दल है तो वह भाजपा ही है। ‘जब दूसरे लोग सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का नाम नहीं होता, मगर हम जब सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का अस्तित्व शुरू होता है। त्रिपुरा को देख लीजिए, वहां 30 साल तक कम्युनिस्टों की सरकार थी, क्या वहां कोई विपक्ष था? कभी कोई चर्चा नहीं हुई। आज हम त्रिपुरा में सत्ता में हैं, आज वहां जानदार शानदार विपक्ष है, उसकी आवाज सुनी जाती है। संविधान हमें जिम्मेदारी देता है कि विपक्ष की आवाज को महत्व दें।’