रॉ और आईबी ने मिलकर कई सुपर सीक्रेट मिशन को दिया अंजाम, पीएम पर हमले की साजिश रचने वाली 'स्लीपर सेल' का भी हुआ भंडाफोड़
यह सुनने में किसी जासूसी उपन्यास की पटकथा जैसा लगता है लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पिछले दो साल में जांबाजी वाले कई सुपर सीक्रेट मिशन को अंजाम दिया है। इनमें खतरनाक आतंकियों से जुड़े एक दर्जन से अधिक लोगों और दुश्मन एजेंटों को 'बेअसर' कर दिया गया। सुरक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े सूत्रों से यह सनसनीखेज जानकारी मिली है। जिन 'स्लीपर सेल' को नाकाम किया गया उनमें से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की साजिश रच रही थी।
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग 'रॉ' और खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने बेहतरीन तालमेल के साथ कई ऑपरेशन को अंजाम दिया। कई मामलों में रॉ ने विदेशी जासूसों पर नजर रखी और भारत में आईबी को इसकी जानकारी दी। इसके बाद पूरी रणनीति तैयार की गई। सही समय का इंतजार किया गया और मौका मिलते ही संयुक्त अभियान चलाकर खतरे को 'नाकाम' कर दिया गया।
भारत की महिला जासूसों ने भी इन सीक्रेट ऑपरेशनों में बड़ी भूमिका निभाई। कई मिशन बहुत ही खतरनाक थे। 'प्लांट' की गई महिला जासूसों ने दुश्मनों को फांसने का काम किया।
ज्यादा ब्यौरा न देते हुए सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि रॉ और आईबी ने मिलकर कुछ ऐसे मिशन को अंजाम तक पहुंचाया और देश के लिए पैदा होने वाले खतरे को नाकाम कर दिया।
'माय नेशन' को पता चला है कि एक ऐसे ही ऑपरेशन में भारतीय एजेंसियों को सीरिया में आईएसआईएस की केमिकल लैब के बारे में जानकारी मिली थी। तुर्की में रहने वाले एक डीलर के गुजरात स्थित केमिकल कंपनी के संपर्क में होने की सूचना थी। यह कंपनी थैलियम सल्फेट की आपूर्ति करती थी। यह एक रंगहीन केमिकल होता है, जिसे 'अदृश्य जहर' के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसका जिक्र अगाथा क्रिस्टी के उपन्यासों में कई बार सुनने को मिलता है।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली भेजे गए दस्तावेज में दावा किया गया कि मोहम्मद यासिर अल-शूमा नाम के दलाल को भारत से केमिकल खरीदने के काम में लगाया गया था। इसके बाद कई देशों में रासायनिक हमले करने की साजिश थी। 2017 में इराकी सुरक्षा बलों ने भारतीय एजेंसियों द्वारा साझा की गई सूचना के बाद मोसुल यूनिवर्सिटी में बनी लैबोरेटरी को तबाह कर दिया। यह लैब आईएसआईएस की हथियार फैक्टरी बन चुकी थी। एक ऑपरेशन में आईएसआईएस के गुजरात में स्थानीय कनेक्शन का भी भंडाफोड़ कर दिया गया।
एक सूत्र के अनुसार, इन मिशनों में से एक का नाम रामायण के पात्र के नाम पर रखा गया था। इस दौरान भारत में स्लीपर सेल के तौर पर रह रहे 12 आतंकियों को 'खामोश' कर दिया गया। इनमें से तीन के खिलाफ पिछले दो साल में पूर्वोत्तर में कार्रवाई की गई। सूत्रों के अनुसार, 'यह देश को सुरक्षित करने के लिए नियमित चलने वाली प्रक्रिया है। यह हमेशा गोपनीय रही है।'
एक अन्य गुप्त सीक्रेट मिशन में खुफिया ब्यूरो की डेस्क को सूचना मिली थी कि 2015 के मध्य में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए दुर्दांत आतंकी संगठन आईएसआईएस ने एक बड़ा भर्ती अभियान शुरू किया है। इस मामले में रॉ को तुरंत भरोसे में लिया गया। खुफिया एजेंसी की पड़ताल में सामने आया कि इंडोनेशिया में रहने वाले एक महिला कई सोशल मीडिया ग्रुप चलाती है और वह लगातार कुछ युवकों पर नजर रखे हुए है, ताकि उन्हें बरगला कर कट्टरपंथी बनाया जाए और आईएसआईएस में शामिल कर लिया जाए।
इसके बाद, विदेश में रहने वाली एक भारतीय महिला को इंडोनेशिया की महिलाओं के सोशल मीडिया ग्रुप में 'प्लांट' किया गया। इस महिला ने छह महीने तक कर्नाटक के एक 33 साल के शख्स पर नजर रखी। मोहम्मद सिराजुद्दीन नाम का यह युवक जयपुर में इंडियन ऑयर कार्पोरेशन के लिए काम करता था। वह सीरिया जाने और आईएसआईएस के लिए लड़ने के लिए बेकरार था। इसके बाद दिसंबर, 2015 में सिराजुद्दीन को राजस्थान के आतंकवाद रोधी दस्ते ने गिरफ्तार कर लिया।
राजधानी दिल्ली में भी इस तरह के एक से ज्यादा एक्शन हुए हैं। उदाहरण के लिए खुफिया एजेंसियों को ऐसी सूचनाएं मिली थीं कि एक आतंकी दिल्ली में घुस गया है और वह दक्षिण दिल्ली इलाके में रह रहा है। दिल्ली पुलिस की आतंकवाद रोधी शाखा ने 5 अक्टूबर, 2017 को यह केस दर्ज किया था।
सूत्रों के मुताबिक, कई खतरों को पूरी तरह नाकाम किया जा चुका है।
कई ऐसे मामले हैं, जहां भारतीय खुफिया एजेंसियों ने अच्छे तालमेल के साथ संयुक्त ऑपरेशन चलाते हुए दुश्मन के स्लीपर सेल पर प्रभावी कार्रवाई की है। 'माय नेशन' ने इस मामले में अपने सूत्रों से मिली किसी भी संवेदनशील जानकारी को सार्वजनिक न करने का फैसला किया है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।