लोकसभा चुनाव में यूपी से बाहर क्षेत्रीय दलों से गठबंधन करेगी बसपा

By Team MyNation  |  First Published Jan 19, 2019, 6:07 PM IST

उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सपा से गठबंधन करने के बाद बहुजन समाज पार्टी अब अन्य राज्यों में अन्य क्षेत्रीय दलों से गठबंधन करेगी. फिलहाल उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बसपा ने चुनावी गठबंधन कर लिया है. वहीं हरियाणा और कर्नाटक में भी चुनावी गठजोड़ लगभग तय माना जा रहा है. लिहाजा अब अन्य राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए बसपा गठजोड़ कर राष्ट्रीय पार्टी का तमगा बरकरार रखना चाहती है.

उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सपा से गठबंधन करने के बाद बहुजन समाज पार्टी अब अन्य राज्यों में अन्य क्षेत्रीय दलों से गठबंधन करेगी. फिलहाल उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बसपा ने चुनावी गठबंधन कर लिया है. वहीं हरियाणा और कर्नाटक में भी चुनावी गठजोड़ लगभग तय माना जा रहा है. लिहाजा अब अन्य राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए बसपा गठजोड़ कर राष्ट्रीय पार्टी का तमगा बरकरार रखना चाहती है. हालांकि पार्टी ने अन्य राज्यों में सपा को अपना सहयोगी नहीं बनाया है.

बहुजन समाज पार्टी ने आगामी लोकसभा में उत्तर प्रदेश में सपा के साथ गठबंधन कर सबको चौंका दिया था. इस गठबंधन में बसपा ने कांग्रेस को बाहर रखा. जबकि कांग्रेस सपा और बसपा गठबंधन में दस सीटें चाहती थी. लेकिन इस गठबंधन में रायबरेली और अमेठी में अपने प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है. असल में मायावती ने पिछले साल हुए तीन राज्यों के चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया था. हालांकि छत्तीसगढ़ में उसने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के साथ चुनावी गठजोड़ किया और छह सीटें जीतने में कामयाब रही. लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी ने किसी से गठजोड़ नहीं किया जबकि बसपा इन राज्यों में कांग्रेस से गठजोड़ करना चाहती थी.

फिलहाल आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बसपा की नजर ऐसे राजनीतिक दलों पर है जिनका राज्य विशेष में प्रभाव है. उनके साथ गठबंधन करने पर पार्टी के न केवल प्रत्याशी जीतें बल्कि वोट बैंक भी बढ़े. अगर आकड़ों की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 503 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, लेकिन पार्टी का खाता भी नहीं खुला और करीब 447 प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी. बसपा को इस चुनाव में महज 4.19 फीसद वोट मिले थे, जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के 21 सांसद चुने गए थे. हालांकि ये सभी सांसद उत्तर प्रदेश के थे. लेकिन 21 सांसद जीतने के बादा पार्टी को महज 6.17 फीसद वोट मिले. अगर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो बसपा ने मिजोरम में प्रत्याशी नहीं उतारे थे. जबकि चार राज्यों में उसे दो फीसदी से पांच फीसदी तक वोट मिले.

आंकड़ों के मुताबिक पार्टी को तेलंगाना में 2.1 फीसदी वोट मिले, जबकि यहां पार्टी ने कोई सीट नहीं जीती. वहीं राजस्थान में 4 फीसदी और वह छह सीटें जीतने में कामयाब रही. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में पार्टी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के साथ मिलकर चुनाव में 3.9 फीसदी वोट मिले और उसने दो सीटें जीती. कुछ इस तरह का प्रदर्शन मध्य प्रदेश में भी देखने को मिला यहां हालांकि पार्टी का जनाधार बढ़ा लेकिन सीटें ज्यादा नहीं जीत पायी. पार्टी ने यहां पर 5 फीसदी वोट हासिल किए जबकि दो सीटें ही जीती. उसके बावजूद मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें बसपा के समर्थन से चल रही हैं.

अब पार्टी पूर्व में इस फार्मूले के तहत अन्य राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारी में है. पार्टी  पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के साथ छत्तीसगढ़ में गठबंधन कर रही है, वही वहीं हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ बसपा का गठबंधन तय माना जा रहा है. जबकि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जनता दल (एस) के साथ मिलकर लड़ने के बाद बसपा आगामी लोकसभा चुनाव भी उसी के साथ लड़ेगी. इसके साथ ही पार्टी अन्य राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ चुनावी गठजोड़ देख रही है.

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