1989 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार ने इस मामले में कथित तौर पर अहम भूमिका निभाई। उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है।
बंगाल की सियासत को हिला देने वाले शारदा चिटफंड और रोज वैली घोटाले की आंच कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार तक पहुंच गई है। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई उन्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। वह तीन दिन से 'गायब' बताए जा रहे हैं। सीबीआई इस मामले में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कई करीबियों को पहले गिरफ्तार कर चुकी है।
सूत्रों की मानें तो 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार ने इस मामले में कथित तौर पर अहम भूमिका निभाई। उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। यह सीबीआई के इतिहास के उन चुनिंदा मामलों में से है, जिसमें एक सेवारत आईपीएस अधिकारी की भूमिका जांच के घेरे में है और देश की सबसे बड़ी एजेंसी उसे गिरफ्तार करने की तैयारी में है।
खास बात यह है कि राजीव कुमार बंगाल के बहुचर्चित शारदा और रोज वैली घोटाले की जांच की अगुवाई कर रहे थे और सीबीआई उनके द्वारा जांचे गए दस्तावेज चाहती है। सूत्रों के अनुसार, 'राजीव कुमार उस एसआईटी की नेतृत्व कर रहे थे, जिसने राज्य में हुए इन घोटालों की जांच की। हालांकि इसकी धीमी रफ्तार संदेह के घेरे में है।'
सूत्रों ने इस बात की भी पुष्टि की है कि कुमार पिछले तीन दिन से लापता है। वह लोकसभा चुनावों की तैयारियों के मद्देनजर चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक में भी शामिल नहीं हुए। चुनाव आयोग ने भी इस अहम बैठक में शामिल न होने पर उन्हें कारण बताने को कहा है।
सीबीआई ने हाल ही में बंगाली फिल्मों के निर्माता और वितरक श्रीकांत मोहता से भी पूछताछ की थी। उनके कोलकाता स्थित दफ्तर में पूछताछ हुई थी। सीबीआई के अधिकारी करोड़ों रुपये के रोज वैली चिटफंड घोटाले की जांच कर रहे हैं। यह घोटाला ममता बनर्जी के शासन के दौरान सामने आया है।
मोहता श्री वेंकटेश फिल्म्स (एसवीएफ) के सह-मालिक हैं। यह कंपनी एक दशक से तेलुगू की हिट फिल्मों का बंगाली में रीमेक बनाती रही है। उन्हें एजेंसी ने तीसरी बार जांच में शामिल होने का नोटिस दिया था। सीबीआई ने मोहता पर रोज वैली से पैसा लेने का आरोप लगाया है।
सीबीआई ने इस मामले में 'एई समय' की संपादक और वरिष्ठ पत्रकार सुमन चटोपाध्याय को भी गिरफ्तार किया है।