चंद्रयान-2 के लिए अब दूर नहीं ‘चंदामामा’, मुश्किल बाधा पार कर चांद की कक्षा में किया प्रवेश

By Team MyNation  |  First Published Aug 20, 2019, 12:12 PM IST

जानकारी के मुताबिक चंद्रयान 2 लगभग 30 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा के बाद आज लक्ष्य के करीब पंहुच गया है। इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक  आज अंतरिक्ष यान को चंद्र की कक्षा में पहुंचाने के अभियान को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है क्योंकि ये सबसे चुनौतीपूर्ण अभियानों में से एक था। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि उपग्रह चंद्रमा से उच्च गति वाले वेग से पहुंचता तो वह इसे उछाल देता।

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी यानी इसरो के वैज्ञानिकों को आज चंद्रयान-2 पर बड़ी सफलता मिली है। चंद्रयान ने  सबसे मुश्किल वाले फेज को पार कर चांद की कक्षा में प्रवेश कर लिया है। इस मिशन की सफलता के बाद भारत भी विश्व के उन तीन देशों में शामिल हो जाएगा। जिसने चंद्र सतह पर रोवर को उतारा है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने रोवर को चांद पर उतार चुके हैं। इस मिशन की सफलता के बाद भारत को कई क्षेत्रों को विकसित करने में मदद मिलेगी। अगर सबकुछ सही रहा तो चंद्रयान अगले महीने 7 तारीख को चांद पर लैंड करेगा।

जानकारी के मुताबिक चंद्रयान 2 लगभग 30 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा के बाद आज लक्ष्य के करीब पंहुच गया है। इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक  आज अंतरिक्ष यान को चंद्र की कक्षा में पहुंचाने के अभियान को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है क्योंकि ये सबसे चुनौतीपूर्ण अभियानों में से एक था।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि उपग्रह चंद्रमा से उच्च गति वाले वेग से पहुंचता तो वह इसे उछाल देता। जिसके कारण ये उपग्रह अंतरिक्ष में कहीं चला जाता। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अभियान के लिए वेग ठीक अनुपात में होना जरूरी है और जरा सी भी गलती इस पूरे मिशन को असफल कर सकती थी। ऐसा माना जा रहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा है तो ये उपग्रह चांद पर 7 सितंबर को निर्धारित समय पर लैंड करेगा।

इस मिशन सफल होने के बाद भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चंद्र सतह पर रोवर को उतारने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। हालांकि इस साल इजराइल ने भी प्रयास किया था लेकिन वह सफल नहीं हो पाया था। इस मिशन के सफलता के बाद भारत को कई क्षेत्रों में विकास करने में मदद मिलेगी। चंद्रयान 2 को चांद पर उतारने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। क्योंकि इसका वेग 39,240 किलोमीटर प्रति घंटे का। ये स्पीड हवा के माध्यम से ध्वनि के स्पीड से करीब 30 गुना ज्यादा है है।

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