राजस्थान में शुरू हुआ शह और मात का खेल, टला नहीं संकट और दोनों खेमों को अपने-अपने

By Team MyNation  |  First Published Jul 13, 2020, 2:51 PM IST

सचिन पायलट ने दावा किया है कि 25 विधायक उनके सामने बैठें तो गहलोत कैसे 101 विधायकों का दावा कर सकते हैं। असल में राज्य में अब शह मात का खेल शुरू हो गया है। वहीं कांग्रेस सचिन पायलट को मनाने में लगी हुई है। लेकिन पायलट ने साफ तौर पर जयपुर जाने को मना कर दिया है।

जयपुर। राजस्थान में अभी भी अशोक गहलोत सरकार पर संकट के बादल नहीं खत्म नहीं हुए हैं। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दावा है कि उनके साथ 101 विधायकों का समर्थन है। लेकिन वहीं सचिन पायलट ने दावा किया है कि 25 विधायक उनके सामने बैठें तो गहलोत कैसे 101 विधायकों का दावा कर सकते हैं। असल में राज्य में अब शह मात का खेल शुरू हो गया है। वहीं कांग्रेस सचिन पायलट को मनाने में लगी हुई है। लेकिन पायलट ने साफ तौर पर जयपुर जाने को मना कर दिया है।

बागी तेवर अख्तियार कर चुके पायलट ने दावा किया है कि पार्टी के 25 विधायक उनके साथ हैं हैं और राज्य में अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में हैं। हालाकि राज्य के सीएम अशोक गहलोत दावा कर रहे हैं कि उनके साथ 100 से ज्यादा विधायक हैं और उन्होंने अपने पक्ष में 100 विधायकों को जुटाकर अपनी ताकत का एहसास कराया है। इसके बाद गहलोत ने विक्ट्री का साइन दिखाया है। हालांकि शह मात का खेल जारी है। अगर राज्य में आज शाम तक सरकार बच जाती है तो पायलट को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया जाएगा। हालांकि ये इतना आसान नहीं है।


वहीं जयपुर भेजे गए कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सचिन पायलट से बात की है और उनसे अपनी बात रखने को कहा गया है ताकि मतभेद खत्म किए जा सके। लेकिन पायलट से जयपुर जाने से साफ मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट के लिए खुले हैं और सोनिया गांधी और राहुल गांधी की अगुवाई में समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा। 

ये विधानसभा का गणित

राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में कुल 200 सदस्य हैं और इसमें से 107 विधायक कांग्रेस पार्टी हैं। जबकि राज्य के निर्दलीय और कुछ अन्य छोटे दलों विधायकों की संख्या जोड़ ली जाए तो ये आंकड़ा 123 तक पहुंचता है। वहीं सचिन पायलट दावा कर रहे हैं कि उनके पास 25 विधायकों का समर्थन है। अगर वह समर्थन वापस लेते हैं तो राज्य में कांग्रेस सरकार अल्पमत में आएगी और उसके पास महज 98 विधायकों का ही समर्थन होगा।  जबकि सरका बचाने के लिए101 विधायकों का समर्थन होना चाहिए। 

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