आरबीआई ने घटा दी ब्याज दरें पर बैंक नहीं दे रहे हैं ग्राहकों को लाभ

By Team MyNation  |  First Published Apr 13, 2019, 5:34 PM IST

असल में पिछले दिनों आरबीआई ने रेपो रेट में .25 फीसदी की कमी की थी। जबकि उससे पहले भी बैंक ने.25 फीसदी की कमी का ऐलान किया था। यानी महज तीन महीनों के दौरान केन्द्रीय बैंक ने .50 फीसदी की कमी की। केन्द्रीय बैंक ने कमर्शियल बैंकों से कहा भी था कि इसका फायदा वह अपने ग्राहकों को भी दें। 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा रेपो रेट के घटाए जाने के बाद भी बैंकों के कर्ज लेने वाले ग्राहकों का इसका फायदा नहीं मिल रहा है। केन्द्रीय बैंक ने पिछले दिनों दो बार में ब्याज दरों में 0.5 फीसदी की कटौती की जबकि बैंकों ने इसकी तुलना में महज 0.05 फीसदी ही ब्याज दर घटाई है। बैंकों के इस रवैये के कारण ग्राहक रेपो रेट कम होने के बावजूद ठगा महसूस कर रहे हैं।

असल में पिछले दिनों आरबीआई ने रेपो रेट में .25 फीसदी की कमी की थी। जबकि उससे पहले भी बैंक ने.25 फीसदी की कमी का ऐलान किया था। यानी महज तीन महीनों के दौरान केन्द्रीय बैंक ने .50 फीसदी की कमी की। केन्द्रीय बैंक ने कमर्शियल बैंकों से कहा भी था कि इसका फायदा वह अपने ग्राहकों को भी दें। लेकिन बैंक अपने मुनाफे के कारण रेपो रेट में कमी का फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं।

रेपो रेट कम हो जाने के बाद होम लोन और कार लोन लेने वाले बैंकों के ग्राहकों को उम्मीद थी कि उनकी ईएमआई में कमी आयेगी। लेकिन बैंकों ने इसका फायदा ग्राहकों को देना शुरू नहीं किया है। हालांकि बैंकों ने ग्राहकों को खुश करने के लिए महज .05 फीसदी की ब्याज दर में कमी है। जिसको लेकर ग्राहक संतुष्ट नहीं हैं। क्योंकि बैंकों ने जो कमी है वह रेपो रेट की तुलना में महज दस फीसदी ही है। अभी तक महज एसबीआई, आईडीबीआई, आईओबी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र समेत 4 बैंकों ने ब्याज दरों में 0.05 फीसदी की कटौती की है।

पिछले दिनों आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से भी ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर लोन मुहैया कराने को कहा था। लेकिन बैंकों ने उनकी सिफारिश को अनसुना किया है। गौरतलब है कि आरबीआई हर तिमाही में ब्याज दरों की समीक्षा करता है। जिसमें वह बैंकों को कम ब्याज दरों को कर्ज मुहैया कराता है। ताकि बाजार में तरलता आए और उद्यिमयों और बैंक के कर्ज लेने वाले ग्राहकों को फायदा मिले। लेकिन बैंक कम ब्याज दरों को ग्राहकों को उपलब्ध नहीं कराते हैं। वहीं जब आरबीआई रिवर्स रेपो रेट घोषित करता है बैंक इसको सीधे तौर पर ग्राहकों पर थोपते हैं। जिसके कारण उनकी ब्याज दरों में इजाफा हो जाता है।

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