तो क्या यूपी में शीला के फार्मूले के लागू करेगी कांग्रेस !

By Team MyNationFirst Published Jan 25, 2019, 11:55 AM IST
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राज्य में अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही कांग्रेस प्रियंका गांधी की पार्टी में इंट्री से खुश है.लेकिन प्रियंका का लाने के बाद भी क्या कांग्रेस राज्य में अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा पाएगी. इस पर कोई भी बोलने के तैयार नहीं है. क्योंकि कांग्रेस को पतह करने के लिए कई मोर्चों पर लड़ना है. लिहाजा अब कांग्रेस यूपी में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का फार्मूला लागू कर रही है.

राज्य में अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही कांग्रेस प्रियंका गांधी की पार्टी में इंट्री से खुश है.लेकिन प्रियंका का लाने के बाद भी क्या कांग्रेस राज्य में अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा पाएगी. इस पर कोई भी बोलने के तैयार नहीं है. क्योंकि कांग्रेस को पतह करने के लिए कई मोर्चों पर लड़ना है. लिहाजा अब कांग्रेस यूपी में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का फार्मूला लागू कर रही है. ताकि राज्य में सभी धर्म और जातीयों को लोकसभा चुनाव में साधा जा सके.

कांग्रेस के राज्य में 2 सासंद हैं. इसमें से एक अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी हैं. ये दोनों सीटें कांग्रेस की परंपरागत सीटें रही हैं. लेकिन इस बार चुनाव में कांग्रेस को पिछले चुनाव से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव है. कांग्रेस ने तुरूप का पत्ता माने जाने वाली प्रियंका गांधी को राज्य के पूर्व हिस्से का प्रभारी नियुक्त किया है. इसके साथ ही वह पार्टी की महासचिव भी होंगी. प्रियंका को उतार कर कांग्रेस अन्य दलों पर राजनैतिक दबाव बनाना चाहती है. अब प्रियंका को मदद पहुंचाने के लिए कांग्रेस राज्य में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का फार्मूला लागू करने की योजना बना रही है. इस फार्मूले के मुताबिक राज्य को चार हिस्सों में बांट कर चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएं. जैसे दिल्ली में शीला ने चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सभी जाति और धर्म के लोगों को खुश करने के लिए किया है.

कांग्रेस इस फार्मूले को पहले भी राज्य में लागू कर चुकी हैं. हालांकि ये फार्मूले एनएसयूआई में लागू किया गया. उस वक्त राज्य में वोटिंग के जरिए राज्य में संगठन के चार अध्यक्ष नियुक्त किए गए. प्रियंका का पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपने के बाद सांसद ज्योतिरादित्य को पश्चिम यूपी का प्रभारी बनाया है. यूपी में कांग्रेस एक मुस्लिम और बाकी तीन हिंदूओं को इस पद पर नियुक्त करना चाहती है. इसके तहत ब्राह्मण, ओबीसी और एससी से एक-एक अध्यक्ष बना सकती है. कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक नए प्रदेश अध्यक्षों के नाम का ऐलान जल्द हो सकता है. इसके पीछे पार्टी के तर्क हैं कि दो प्रभारियों के साथ एक प्रदेश अध्यक्ष को काम करने में दिक्कत आ सकती है. लिहाजा प्रदेश को चार हिस्सों में बांटते हुए अलग-अलग प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जा सकते हैं. उधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर अध्यक्ष के पद से निकलना चाहते हैं ताकि राष्ट्रीय राजनीति में आ सकें. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी कर सकें. राज बब्बर आगरा और फिरोजबाद से सांसद रह चुके हैं.

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