कांग्रेस का दावा, यूपीए के समय 6 सर्जिकल स्ट्राइक हुई, सेना पहले ही कह चुकी, 'नहीं है कोई रिकॉर्ड'

Published : May 02, 2019, 05:06 PM ISTUpdated : May 02, 2019, 05:11 PM IST
कांग्रेस का दावा, यूपीए के समय 6 सर्जिकल  स्ट्राइक हुई, सेना पहले ही कह चुकी, 'नहीं है कोई रिकॉर्ड'

सार

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा कि साल 2008 से 2013 के बीच जब यूपीए सत्ता में थी तब छह सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया। यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी दो सर्जिकल स्ट्राइक की गईं। 

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा सबसे मुखर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रवाद और मजबूत सरकार के नारे पर अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं। राष्ट्रवाद के मुद्दे की मजबूत होती जमीन को देख अब कांग्रेस भी इसमें कूद गई है। लोकसभा चुनाव के चार चरण बीत जाने के बाद कांग्रेस की ओर से एक सनसनीखेज दावा किया गया है। 

कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि यूपीए सरकार के समय ‘छह सर्जिकल स्ट्राइक’ को अंजाम दिया गया था। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा कि साल 2008 से 2013 के बीच जब यूपीए सत्ता में थी तब छह सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया। यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी दो सर्जिकल स्ट्राइक की गईं। हालांकि डीजीएमओ पहले ही कह चुका है कि साल 2016 से पहले कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई।

कांग्रेस की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को भारत सरकार के लंबे कूटनीतिक प्रयासों के बाद संयुक्त राष्ट्र की ओर से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया गया है। पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े ट्रेनिंग कैंप पर हवाई हमला किया था। इसके बाद से देश भर में राष्ट्रवाद का मुद्दा उफान पर है। मोदी सरकार के समय में साल 2006 में उड़ी में हुई आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। 

कांग्रेस ने यह दावा लोकसभा चुनावों के बीच किया है। खास बात यह है कि सेना पहले ही इस तरह के दावों  को खारिज कर चुकी है। सेना का कहना है कि यूपीए सरकार के समय हुई सर्जिकल स्ट्राइक का न तो कोई रिकॉर्ड हैं और न ही कोई प्रूफ हैं। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘हमारे कार्यकाल के दौरान भी सर्जिकल स्ट्राइक हुई थीं।’

कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से संयुक्त राष्ट्र के मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की टाइमिंग पर सवाल उठाए गए हैं। इस लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत से घबरा गई है। यही वजह है कि अब वह अपने कार्यकाल में छह सर्जिकल स्ट्राइक करने का दावा कर रही है। अब जबकि मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया जा चुका है तो कांग्रेस चेहरा बचाने की कवायद में इस तरह के दावे कर रही है। 

यूपीए सरकार के समय हुई सर्जिकल स्ट्राइक गिनाते हुए कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि पहली सर्जिकल स्ट्राइक 19 जून, 2008 को जम्मू-कश्मीर के पुंछ के भट्टल सेक्टर में की गई थी। दूसरी स्ट्राइक 30 अगस्त से 01 सितंबर के बीच केल में नीलाम नदी घाटी के पार शारदा सेक्टर में की गई। 

तीसरी सर्जिकल स्ट्राइक छह जनवरी, 2013 को सावन पतरा चेकपोस्ट पर की गई। चौथी स्ट्राइक 27-28 जुलाई, 2013 को नाजापीर सेक्टर, पांचवीं छह अगस्त, 2013 को नीलाम घाटी और छठी सर्जिकल स्ट्राइक 14 जनवरी, 2014 को की गई। 

शुक्ला ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली पहली एनडीए सरकार के समये में 21 जुलाई, 2000 को नीलम नदी के पार नादाला एनक्लेव में 21 जनवरी, 2000 और पुंछ के बारोह सेक्टर में 18 सिंतबर, 2003 भी सर्जिकल स्ट्राइक की गई। 

कांग्रेस ने यह दावा सैन्य अभियान महानिदेशालय (डीजीएमओ) के इनकार के बावजूद किया है। डीजीएमओ ने एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि 29 सितंबर, 2016 से पहले सेना की ओर से कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की गई। उनके पास 2004 से 2014 के बीच की गई सर्जिकल स्ट्राइक का कोई रिकॉर्ड नहीं है। रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय में डीजीएमओ ने कहा कि 29 सितंबर, 2016 को ही एक सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। 

सेना ने बताया क्या होती है सर्जिकल स्ट्राइक

रक्षा मंत्रालय में एक आरटीआई आवेदन कर सेना के रिकॉर्ड में दर्ज सर्जिकल स्ट्राइक और उसकी परिभाषा बताने को कहा गया था। इसका जवाब देते हुए डीजीएमओ ने लिखा, ‘सबके लिए उपलब्ध जानकारी के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक की परिभाषा है...एक ऐसा ऑपरेशन जिसकी योजना बेहत खास खुफिया सूचना के आधार पर बनाई गई हो। इसमें सेना का टॉरगेट ऐसे निर्धारित होता है, जिसे कम से कम जान की हानि हो और दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके। इसमें एक निर्धारित लक्ष्य पर सीधी कार्रवाई की जाती है। अगर हमला करने के दौरान सेना का कोई जवान हताहत होता है तो उसे हर हाल में बेस पर वापस लाया जाता है।’

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