अब कांग्रेस सरकार ने उन्हें देशभक्त न बताकर जेल की यातनाओं से परेशान होकर अंग्रेज सरकार से माफी मांगने वाला बताया है। कांग्रेस ये भी बता रही है कि सावरकर देशभक्त नहीं थे। कांग्रेस सरकार का दावा है कि पाठ्यक्रम के लिए बनी समीक्षा समिति ने ये फैसला किया है और इसी आधार पर पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही दो समितियों का गठन किया गया। जिसके तहत माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में देश के कई महापुरुषों की जीवनी शामिल किया गया और इसमें सावरकर की जीवनी को बदलने की सिफारिश की गयी।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आने के बाद अब आजादी के नायकों और महान व्यक्तित्वों के इतिहास को बदलने की शुरूआत हो गयी है। महाराणा प्रताप या फिर अकबर महान के विवाद के बाद अब राजस्थान सरकार बच्चों को वीर सावरकर की बदली हुई जीवनी को पढ़ाएगी। इसमें सरकार ये बताएगी कि वीर सावरकर देशभक्त नहीं थे बल्कि उन्होंने जेल से निकलने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी थी।
बहरहाल राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद स्कूलों में पाठ्यक्रमों में बदलाव का सिलसिला शुरू हो गया है। इससे पहले राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री गहलोत ने महाराणा प्रताप को महान बताने वाले पाठ्यक्रम को बदला था। इस पाठ्यक्रम को पिछली बीजेपी सरकार ने संसोधित किया था और इतिहास में पढ़ाये जा रहे अकबर महान को बदलकर महाराणा प्रताप महान कर दिया था। हालांकि उस वक्त कांग्रेस ने इसका विरोध किया था और ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया था।
लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद गहलोत सरकार बीजेपी के कई फैसले बदल चुकी है। अब गहलोत सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में सावरकर की जीवनी वाले हिस्से में बदलाव कर दिया है। पूर्वी बीजेपी सरकार ने आजादी के नायक और हिंदुत्व के अनुयायी दामोदर सावरकर की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया था और उन्हें महान देशभक्त व क्रांतिकारी बताया था।
लेकिन अब कांग्रेस सरकार ने उन्हें देशभक्त न बताकर जेल की यातनाओं से परेशान होकर अंग्रेज सरकार से माफी मांगने वाला बताया है। कांग्रेस ये भी बता रही है कि सावरकर देशभक्त नहीं थे। कांग्रेस सरकार का दावा है कि पाठ्यक्रम के लिए बनी समीक्षा समिति ने ये फैसला किया है और इसी आधार पर पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही दो समितियों का गठन किया गया।
जिसके तहत माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में देश के कई महापुरुषों की जीवनी शामिल किया गया और इसमें सावरकर की जीवनी को बदलने की सिफारिश की गयी। अब जो पाठ्यक्रम बच्चों को पढ़ाया जाएगा कि ब्रिटिश सरकार ने याचिकाएं स्वीकार करते हुए सावरकर को 1921 में सेलुलर जेल से रिहा कर दिया था। यही नहीं सावरकर ने विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार का सहयोग किया।