कांग्रेस की अहम बैठक आज, सवर्ण आरक्षण की काट और यूपी के लिए बनेगी रणनीति

By Team MyNation  |  First Published Jan 10, 2019, 11:49 AM IST

कांग्रेस आलाकमान ने आज सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारियों की अहम बैठक आज दिल्ली में बुलाई है. ताकि आगामी लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही भाजपा के सवर्ण आरक्षण की काट और यूपी में गठबंधन या फिर अकेले चुनाव के लिए रणनीति बनाई जा सके.

कांग्रेस आलाकमान ने आज सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारियों की अहम बैठक आज दिल्ली में बुलाई है. ताकि आगामी लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही भाजपा के सवर्ण आरक्षण की काट और यूपी में गठबंधन या फिर अकेले चुनाव के लिए रणनीति बनाई जा सके. राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस के वार रूम में आज ये बैठक होगी.

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अहम बैठक बुलाई है.तीन राज्यों में मिली जीत के बाद ये पहली बैठक है. जिसमें सभी प्रदेशों के प्रमुख और प्रभारियों को बुलाया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन से अलग-थलक पड़ने के बाद नए गठबंधन या फिर अकेले चुनाव लड़ने पर भी अहम फैसला ले सकता है. पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर पूरी तैयारी में है. इस बैठक में कांग्रेस नेता एके. एंटनी आगामी चुनाव के लिए राज्यों से आए नेताओं को रणनीति समझाएंगे.

आम चुनावों चुनावों की तैयारियों को लेकर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी पहले ही महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से मिल चुके हैं. राहुल गांधी ने महाराष्ट्र से आए अशोक चौव्हाण, मानिकराव ठाकरे, राधाकृष्ण विखे पाटिल और संजय निरुपम से महागठबंधन पर चर्चा की. उधर दो दिन पहले भाजपा के दवारा चल गए बड़े चुनावी दांव सवर्ण आरक्षण पर कांग्रेस आलाकमान इसकी काट चाहती है. क्योंकि तीन राज्यों के चुनाव में सवर्ण वोट कुछ कांग्रेस की आया है जबकि उसने भाजपा को हराने के लिए नोटा में बटन दबाया. जिसके कारण भाजपा हार गयी और कांग्रेस जीत गई.

लेकिन दोनों दलों के बीच जीत का अंतर काफी कम था. अब भाजपा के इस दांव से कांग्रेस को लगता है कि सवर्ण वोट बैंक फिर इसकी तरफ चला जाएगा. क्योंकि आरक्षण के कारण उनकी नाराजगी काफी हद तक कम हो जाएगी. वहीं कांग्रेस का पूरा ध्यान अब उत्तर प्रदेश में है. क्योंकि राज्य में सपा और बसपा के बीच बनने वाले गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया गया है. जिसके कारण पार्टी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. क्योंकि इन दोनों दलों के गठबंधन बन जाने के बाद कांग्रेस को राज्य में बहुत अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं है.

लेकिन राज्य के नेताओं ने राज्य में अकेले लड़ने का मन बनाया है. उनको लगता है कि तीन राज्यों के चुनाव के प्रदर्शन के बाद राज्य की जनता का झुकाव उसके तरफ हुआ है. पार्टी को लगता है कि वह राज्य में 2009 के प्रदर्शन को दोहरा सकती है.

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