महाराष्ट्र की उद्धव सरकार राज्य में आने वाले दिनों में मुस्लिमों को दे सकती है। क्योंकि कांग्रेस और शिवसेना के गठबंधन बनने से पहले कांग्रेस ने ये शर्त रखी थी। जिसे शिवसेना सरकार ने माना था। वहीं अब कांग्रेस का कहना है कि ये एजेंडे में है। वहीं दूसरी तरफ एनसीपी नेता नबाब मलिक का कहना है कि राज्य में ये मुस्लिमों के लिए बड़ा मुद्दा है।
मुंबई। महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार पर अब कांग्रेस का दबाव बढ़ता जा रहा है। जिसको लेकर शिवसेना मुश्किल में फंसती दिख रही है। राज्य में मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए कांग्रेस शिवसेना पर दबाव बना रही है। हालांकि अभी तक सरकार में इसको लेकर कोई रजामंदी नहीं बनी है। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि सरकार बनने से पहले ही इस मुद्दे पर शिवसेना से बात हो गई थी।
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार राज्य में आने वाले दिनों में मुस्लिमों को दे सकती है। क्योंकि कांग्रेस और शिवसेना के गठबंधन बनने से पहले कांग्रेस ने ये शर्त रखी थी। जिसे शिवसेना सरकार ने माना था। वहीं अब कांग्रेस का कहना है कि ये एजेंडे में है। वहीं दूसरी तरफ एनसीपी नेता नबाब मलिक का कहना है कि राज्य में ये मुस्लिमों के लिए बड़ा मुद्दा है। हालांकि कांग्रेस और एनसीपी पहले ही ये साफ कर चुकी हैं कि राज्य की सत्ता में भाजपा को आने से रोकने के लिए मुस्लिमों ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए रजामंदी दी।
जिसके बाद राज्य में सरकार बनी। राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मालिक ने कहा कि मुस्लिम आरक्षण गठबंधन सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में भी है। हालांकि इस पर अभी फैसला नहीं किया गया है। लेकिन अपने घोषणा पत्र को लागू करना पार्टी की जिम्मेदारी है। हालांकि माना जा रहा है शिवसेना अभी इस मामले को तूल नहीं देना चाहती है। क्योंकि ऐसा कर भाजपा और विरोधी दलों को सरकार को घेरने का मौका मिल जाएगा।
उधर शिवसेना को डर है कि अगर राज्य में मुस्लिम आरक्षण लागू किया तो उसे राजनैतिक तौर पर नुकसान होगा। शिवसेना का मजबूत वोट बैंक उससे दूर जाएगा। वहीं कांग्रेस और एनसीपी भी शिवसेना को राजनैतिक तौर पर कमजोर करने में लगे हैं। कुछ दिन पहले ही एनसीपी और कांग्रेस ने मुस्लिमों के दिए गए बयानों के बाद शिवसेना दिक्कत में आ गई है।