क्या मध्य प्रदेश में राज ठाकरे स्टाइल की राजनीति को हवा दे रहे कमलनाथ?

By Arjun SinghFirst Published Dec 18, 2018, 1:49 PM IST
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जो यूपी और बिहार के लोगों पर 'रोजगार हथियाने' के आरोप लगा रहे हों, उनसे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना और राज ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे भी इसी तरह की क्षेत्रवाद की राजनीति करते रहे हैं। 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भले ही कांग्रेस नेता कमलनाथ के कर्जमाफी के फैसले की तारीफ हो रही हो लेकिन उनके एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। कमलनाथ ने एक बयान में कहा कि मध्य प्रदेश की ज्यादातर नौकरियां उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को मिल जाती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य की दो तिहाई नौकरियां सिर्फ मध्य प्रदेश के ही लोगों को मिलनी चाहिए। हालांकि कमलनाथ पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जो यूपी और बिहार के लोगों पर 'रोजगार हथियाने' के आरोप लगा रहे हों, उनसे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना और राज ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे भी इसी तरह की क्षेत्रवाद की राजनीति करते रहे हैं। लेकिन एक मुख्यमंत्री के इस तरह का आरोप लगाने को काफी गंभीर माना जा रहा है। 

कमलनाथ के इस बयान पर सोशल मीडिया में भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। यूपी और बिहार के कई नेताओं ने कमलनाथ के बयान पर ऐतराज जताया है। खासबात यह है कि मध्य प्रदेश की कमान संभालने वाले कमलनाथ खुद उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे हैं। सोशल मीडिया में इसी को लेकर उन पर निशाना साधा जा रहा है। 

कमलनाथ का यह बयान इस बात का संकेत है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस अपने को मजबूत करने के लिए बाल ठाकरे और राज ठाकरे के स्टाइल वाली राजनीति को हवा दे रहे हैं। हालांकि उनका यह बयान  पार्टी को असहज कर सकता  हैं, क्योंकि आने वाले लोकसभा चुनाव में यूपी और बिहार राजनीति की दिशा और दशा तय  कर सकते हैं।  कमलनाथ से पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा था कि बिहार के लोगों की वजह से राजधानी में गंदगी है। उनके इस बयान से विवाद खड़ा हो गया था और शीला दीक्षित को सार्वजनिक तौर से माफी मांगनी पड़ी थी। 

अभी कुछ महीने पहले गुजरात के साबरकांठा जिले में 14 माह की बच्ची से बलात्कार की घटना के बाद गैर-गुजरातियों पर कथित तौर पर हमले हुए थे। इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लोगों को निशाना बनाया गया। इसके चलते बाहरी लोग गुजरात छोड़ने को मजबूर हो गए। गैर-गुजरातियों पर हुए हमलों में कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर का नाम आया। इसके बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी। खास बात यह थी कि अल्पेश बिहार में कांग्रेस के सह प्रभारी थे। 
 

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