आतंकी संगठनों में युवाओं की भर्ती को रोकने के लिए दहशतगर्दों के जनाजों को कर रहे नियंत्रितः सेना प्रमुख

By Team MyNation  |  First Published Nov 21, 2018, 8:08 PM IST

'माय नेशन' को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में जनरल बिपिन रावत ने कहा, बेरोजगार युवाओं का सिर कलम करने जैसे दरिंदगी को कश्मीरी आवाम कभी सही नहीं ठहरा सकती।

अभिजीत मजूमदार एवं अजीत दुबे

कश्मीर में सेना के साथ मुठभेड़ में मारे जाने वाले आतंकियों के नमाज-ए-जनाजा में जुड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित किया जा रहा है, क्योंकि आतंकी इस तरह के अवसर का लाभ इन तथाकथित 'शहादतों' के बाद जनाजों में जुटने वाले कश्मीरी युवाओं को बरगलाने के लिए उठाते हैं। 'माय नेशन' को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने यह बात कही है। यह किसी डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को दिया गया उनका पहला इंटरव्यू है। 

कश्मीर के एक युवा का सिर कलम करने और घटना का वीडियो बनाने के लिए सेना प्रमुख ने पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा, यह कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकी संगठनों की हताशा को दर्शाता है। कश्मीरी आवाम ने इस तरह की 'दरिंदगी' का कभी समर्थन नहीं किया। इससे आतंकियों की जनसमर्थन घटेगा। ऐसी घटनाओं से यहां शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी। 

जनरल रावत ने 'माय नेशन' से कहा, 'आतंकी संगठनों के लिए ये स्थान (आतंकियों के अंतिम संस्कार स्थल) नए युवाओं को भर्ती करने वाली जगह की तरह होते हैं। हम सैन्य अभियानों में मारे जाने वाले आतंकियों के शवों को उनके परिजनों को सौंपने के पहलू को नजरअंदाज नहीं कर सकते। लेकिन इन जनाजों में पहुंचने वालों की संख्या को नियंत्रित कर सकते हैं। साथ ही मारे गए आतंकी के लिए पढ़े जाने वाले नमाज-ए-जनाजा की संख्या भी कम की जा सकती है। मेरा कहने का अर्थ है कि इसे नियंत्रित किया जा रहा है और हम काफी हद तक इसमें सफल भी रहे हैं।' सेना प्रमुख ने कहा, 'कई कदम उठाए गए हैं। धीरे-धीरे हम देखेंगे कि इन तथाकथित शहादत के मोर्चों में लोगों के पहुंचने की संख्या घटने लगेगी।'

सेना प्रमुख से पूछा गया था कि आतंकियों के अंतिम संस्कार में ज्यादा लोगों को पहुंचने से रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? ऐसी जगहों से आतंकियों को युवाओं को बरगलाने में मदद मिलती है। 

जब जनरल रावत से पूछा गया कि आतंकियों के परिवारों को उनके शव न देकर इस तरह के जनाजों को सुरक्षा बल नियंत्रित कर सकते हैं, तो सेना प्रमुख ने कहा, यह भारतीय सेना इस तरह की नीति का अनुसरण नहीं करती। वह कश्मीर में 'ताकत के जोर' में विश्वास नहीं रखते। 

जनरल रावत ने कहा, 'हम ताकत दिखाने की नीति का अनुसरण नहीं कर रहे। मैं  ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हम देश के खिलाफ हथियार उठाने वाले एक आतंकवादी को मारते हैं। कल्पना कीजिए हम उसका अंतिम संस्कार करने के लिए परिजनों को शव भी लौटाते हैं। अगर हम इतना कुछ करते हैं तो इसे ताकत का जोर दिखाना कैसे कहा जा सकता है। हम यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय सेना कश्मीरियों के खिलाफ नहीं है। सेना यहां अमन कायम करने के लिए है। हम यहां कश्मीरियों का साथ देने के लिए हैं।'

कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन द्वारा आईएसआईएस की तर्ज पर एक युवक की हत्या करने का वीडियो जारी किए जाने पर सेना प्रमुख ने कहा, यह आतंकी संगठनों की हताशा से ज्यादा कुछ नहीं हैं। पहले उन्होंने पंचायत घरों को आग लगाई और इसके बाद पुलिसकर्मियों की हत्याएं कीं, लेकिन उन्हें स्थानीय लोगों के विरोध के कारण यह सब रोकना पड़ा। 

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उन्होंने कहा, 'कश्मीर के लोग अक्सर ये कहते हैं कि उनके पास नौकरी नहीं है लेकिन दूसरी तरफ आतंकी पुलिसकर्मियों को जॉब छोड़ने के लिए धमकाते हैं। कश्मीर आवाम इसे अपने खिलाफ मानती है। इसलिए आतंकियों ने अब ट्रेंड बदल लिया है। अब वे बेरोजगार युवकों को निशाना बना रहे हैं, क्योंकि इसमें उन्हें कोई नुकसान नजर नहीं आता।'

जनरल रावत ने कहा, 'जब आतंकी इस तरह के हमलों को अंजाम देते हैं, तो लोग खुद उनके खिलाफ खड़े हो जाते हैं। मेरा मानना है कि आतंकियों द्वारा की गई यह बहुत बड़ी चूक है। यह कश्मीर में अमन की राह प्रशस्त करने वाला साबित हो सकता है। मेरा मानना है कि लोगों को यह महसूस होगा और वे आतंकियों और आतंकवाद से किनारा करेंगे। यह युवाओं को आतंकवाद की राह पर जाने से रोकने वाला साबित हो सकता है। यह दरिंदगी है और कश्मीरी कभी भी इसमें विश्वास नहीं करेंगे।'

पिछले दो-तीन साल से हर वर्ष 200 से ज्यादा आतंकियों के खात्मे को सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता मानने के सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा, सेना ने बड़े पैमाने पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की है। वह यह सुनिश्चित कर रही है कि उनकी संख्या सीमित रहे। यह सभी युवाओं और आतंकवाद की राह पर जा चुके कश्मीरियों को संदेश है कि अगर कोई आतंकी संगठनों में शामिल होता है तो वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहेगा। आतंकियों के सामने दो ही विकल्प हैं, या तो वे हथियार डाल दें या फिर सुरक्षा बलों की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें। 

सेना प्रमुख ने कहा,  जवान बहुत ही संयम के साथ आतंकवाद रोधी अभियान चला रहे हैं। इस दौरान हल्के हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जनरल रावत ने कहा, 'ऐसा बहुत कम होता है जब हम रॉकेट लांचर का इस्तेमाल करते हैं। इसे तभी प्रयोग किया जाता है जब दूसरी तरफ से रॉकेट लांचर से फायर किया जाए। अन्यथा सुरक्षा बल आतंकवादियों से होने वाली मुठभेड़ों के दौरान हल्के हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।'

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