इस बैठक में कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ है। लेकिन बैठक में आर्थिक स्थिति की समीक्षा, नकदी और क्रेडिट की स्थित पर भी समीक्षा की गयी। इसके साथ ही ग्लोबल संकेतों और करेंसी मैनेजमेंट पर अहम चर्चा हुई। हालांकि दास ने कल ही संकेत दे दिए थे कि वह बैंकों से बात करने के लिए तैयार हैं।
नए आरबीआई गवर्नर ने ली बोर्ड की पहली बैठक, नकदी और आर्थिक स्थिति की समीक्षा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई के नए गवर्नर शशिकांत दास की पहली बोर्ड बैठक में आज ग्लोबल और क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति बनाने पर जोर दिया गया। हालांकि इस बैठक में कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ है। लेकिन बैठक में आर्थिक स्थिति की समीक्षा, नकदी और क्रेडिट की स्थित पर भी समीक्षा की गयी। इसके साथ ही ग्लोबल संकेतों और करेंसी मैनेजमेंट पर अहम चर्चा हुई। हालांकि दास ने कल ही संकेत दे दिए थे कि वह बैंकों से बात करने के लिए तैयार हैं।
असल में ये पहले से ही माना जा रहा था कि मीटिंग में नकदी संकट पर चर्चा की जाएगी। लिहाजा इस मुद्दे पर चर्चा की गयी। आरबीआई के गवर्नर के रूप में अपने तीसरे दिन बोर्ड बैठक का नेतृत्व करने वाले शक्तिकांत दास ने केंद्रीय बैंक के कोर वैल्यू और ऑटोनोमी को बनाए रखने की बात कही, साथ ही यह भी कहा था कि सरकार सिर्फ स्टेकहोल्डर से अधिक है। इसके साथ ही बैठक में मीडियम, स्मॉल और माइक्रो इंटरप्राइजेज को ही रही दिक्कतों को लेकर भी चर्चा की गयी। असल में गवर्नर पदभार ग्रहण करने के कुछ ही घंटे बाद शशिकांत दास ने कहा था कि सरकार सिर्फ एक स्टेकहोल्डर नहीं है और सरकार अर्थव्यवस्था चलाती है और देश चलाती है। बोर्ड में केंद्रीय बोर्ड की अध्यक्षता गवर्नर द्वारा की जाती है और इसमें दो सरकारी सदस्य 11 स्वतंत्र निदेशक शामिल होते हैं।
उधर गवर्नर शशिकांत दास ने गुरुवार को मुंबई स्थित पब्लिक सेक्टर के बैंकर प्रमुखों के साथ परामर्श किया ताकि उनके सामने आने वाले मुद्दों पर चर्चा की जा सके। ऐसा माना जा रहा है शीर्ष बैंक ने जिन सरकारी बैंकों के कर्ज देने पर प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के तहत प्रतिबंध लगा रखा है, उसमें वह ढील दे सकती है। ताकि बैंकों को काम करने में आसानी हो सके और इसके जरिए दास ने जता दिया था कि वह सबसे बातचीत के लिए तैयार हैं। दास पहले आर्थिक मामलों के सचिव रह चुके हैं।
उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफा देने के बाद उन्हें आरबीआई गवर्नर बनाया गया। दास ने पद संभालते ही स्पष्ट कर दिया था कि वह बातचीत करके मसलों का समाधान निकालेंगे। हालांकि इससे पहले 19 नवंबर बोर्ड बैठक में आर्थिक पूंजी ढांचे के उपयुक्त स्तर को तय करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्णय किया गया था। हालांकि उस वक्त बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल थे।