केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दिए जाने वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। जिसपर 22 जनवरी को सुनवाई होने वाली थी। लेकिन इसपर सुनवाई आगे टल गई है।
सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाज़त वाले फैसले पर पुर्नविचार की मांग वाली याचिकाओं पर पहले से तय 22 जनवरी को होने वाली सुनवाई नही होगी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बताया कि संविधान पीठ की एक सदस्य जस्टिस इंदू मल्होत्रा मेडिकल लीव पर है। मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस रोहिंग्टन फली नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की मौजूदगी वाली पांच सदस्यीय पीठ पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी।
बतादें कि कोर्ट इस मामले से संबंधित दायर सभी पुनर्विचार याचिकाओं को ओपन कोर्ट हियरिंग की मांग को स्वीकार कर लिया था। अब याचिकाकर्ताओं के वकीलों को अपनी बात अच्छे तरीके से रख सकते है। अगर कोर्ट को लगता है कि ओपन हियरिंग से तथ्यों को समझने में मदद मिलेगी तो कोर्ट उसे स्वीकार कर सकता है।
हालांकि यह पूरी तरह से जजो के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है।
ज्ञात हो कि सबरीमाला मंदिर मामले में कुल 49 याचिकाएं दायर की गई थी। जिनमें से हर याचिका में ओपन कोर्ट हियरिंग के लिए निवेदन किया गया था। ओपन कोर्ट हियरिंग का निवेदन स्वीकार किए जाने की वजह से कोर्ट उन वकीलों को भी अपनी बात रखने की इजाजत दे सकती है, जो इस केस में पार्टी नही है।
गौरतलब है कि 28 सिंतबर को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर के कपाट सभी आयु वर्ग की महिलाओं के लिए खोलने का आदेश दिया था।
संविधान पीठ ने मंदिर पर पाबंदी की सदियों पुरानी परंपरा को असंवैधानिक व भेदभावपूर्ण बताया था। हालांकि इस फैसले के बावजूद भगवान अयप्पा के भक्तों ने आंदोलन चलाकर मंदिर के कपाट खुलने पर भी महिलाओं को प्रवेश नहीं करने दिया था।