ऐसी खबरें हैं कि गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग के गठन पर विचार कर रहे हैं। राज्य में परिसीमन पर 2002 में नेशनल कांफ्रेंस की सरकार ने रोक लगा दी थी। अब जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात में इस पर चर्चा हुई है।
केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर में विधानसभाओं के परिसीमन की योजना पर विचार करने की खबरों से ही पीडीपी नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती बिदक गई हैं। अभी तक इस तरह की योजना को लेकर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, इससे पहले ही उन्होंने परिसीमन को लेकर विवादित बयान दे दिया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा है कि जबरन परिसीमन की कोशिश राज्य को धार्मिक आधार पर बांटना होगा।
पीडीपी प्रमुख ने ट्वीट किया, 'मैं उन खबरों को सुनकर परेशान हूं जिनमें कहा गया है कि केंद्र सरकार विधानसभाओं का परिसीमन करने पर विचार कर रही है। जरबन परिसीमन राज्य को धार्मिक आधार पर बांटने का भावनात्मक प्रयास होगा। पुराने जख्मों को भरने की बजाय भारत सरकार कश्मीरियों के घावों को कुरेद रही है।'
Distressed to hear about GoIs plan to redraw assembly constituencies in J&K. Forced delimitation is an obvious attempt to inflict another emotional partition of the state on communal lines.Instead of allowing old wounds to heal, GoI is inflicting pain on Kashmiris
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti)दरअसल, ऐसी खबरें हैं कि गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग के गठन पर विचार कर रहे हैं। राज्य में परिसीमन पर 2002 में नेशनल कांफ्रेंस की सरकार ने रोक लगा दी थी। अब जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात में इस पर चर्चा हुई है। इसके बाद गृहमंत्रालय में हुई बैठकों में गृह सचिव राजीव गौबा, आईबी के प्रमुख राजीव जैन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भी शामिल किया गया। इसके अलावा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के प्रमुखों से भी चर्चा की गई है।
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में ज्यादातर विधायक कश्मीर क्षेत्र से चुनकर आते हैं। जबकि जम्मू क्षेत्र कश्मीर से बड़ा है। आरोप है कि पिछले समय में हुए परिसीमन में यहां की जनसंख्या एवं क्षेत्र को नजरंदाज किया गया। जिसके चलते जम्मू क्षेत्र को विधानसभा में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। जम्मू क्षेत्र के लोग लंबे समय से इस असमानता को दूर करने की मांग करते आए हैं।
इससे पहले भी महबूबा ने गृहमंत्री अमित शाह पर कश्मीर समस्या के तुरंत समाधान के लिए ‘बर्बर बल' का सहारा लेने का आरोप लगाया था। महबूबा ने ट्वीट किया, ‘1947 से विभिन्न सरकारें कश्मीर को सुरक्षा के नजरिए से देखती रही हैं। यह एक राजनीतिक समस्या है और पाकिस्तान सहित सभी पक्षों को शामिल करते हुए इसके राजनीतिक हल की जरूरत है। समस्या के जल्द समाधान के लिए बर्बर बल का सहारा लेना बेतुकी नासमझी होगी।'
Since 1947, Kashmir’s been looked through the prism of security by successive governments. It’s a political problem that needs a political redressal by involving all stakeholders inc Pak.Expecting a quick fix through brute force by newly appointed HM is ridiculously naive
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti)इस पर महबूबा मुफ्ती को जवाब देते हुए भाजपा के सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने ट्वीट किया, 'हम सभी कश्मीर समस्या के समाधान के लिए बात कर रहे हैं, लेकिन महबूबा मुफ्ती के लिए अमित शाह की प्रक्रिया को 'क्रूर' कहना 'हास्यास्पद' है। इतिहास हमारे धैर्य और धीरज का गवाह रहा है। लेकिन अगर उत्पीड़न मेरे लोगों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करता है, तो ऐसा ही हो।'
While I am all for a talk-based solution to Kashmir problem but for to term Shri ’s process as “brute” is “ridiculously naive”. History has been witness to our patience and endurance. But if oppression ensures security for my people, then so be it.
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir)