लोकसभा चुनाव हारने के बाद राज्यसभा जा सकते हैं देवगौड़ा, सोनिया गांधी की हरी झंडी का इंतजार

By Team MyNation  |  First Published May 28, 2020, 1:19 PM IST

फिलहाल राज्य में जेडीएस और कांग्रेस एक साथ नहीं है। लेकिन देवेगौड़ा को समर्थन देने के लिए कांग्रेस जेडीएस के साथ आ सकती है। राज्य में चार राज्यसभा सांसद अपने छह साल का कार्यकाल 25 जून को पूरा कर रहे हैं। इनमें कांग्रेस के दो प्रोफेसर एम वी राजीव गौड़ा और बी के हरिप्रसाद शामिल हैं, जबकि भाजपा से प्रभाकर कोरे और जेडीएस के डी कुपेन्द्र रेड्डी रिटायर हो रहे हैं।

बेंगलुरू। कर्नाटक में जनता दल यूनाइटेड पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा को राज्यसभा में भेजने की तैयारी में है। राज्य में राज्यसभा की चार सीटें खाली हो रही हैं और जेडीएस कांग्रेस की मदद से देवेगौड़ा को उच्च सदन में भेजने के लिए रणनीति तैयार कर रहा है।  हालांकि जेडीएस के पास उच्च सदन में पहुंचने के लिए जरूरी बहुमत नहीं है। लेकिन कांग्रेस की मदद से वह देवेगौड़ा को उच्च सदन में भेज सकता है।

फिलहाल राज्य में जेडीएस और कांग्रेस एक साथ नहीं है। लेकिन देवेगौड़ा को समर्थन देने के लिए कांग्रेस जेडीएस के साथ आ सकती है। राज्य में चार राज्यसभा सांसद अपने छह साल का कार्यकाल 25 जून को पूरा कर रहे हैं। इनमें कांग्रेस के दो प्रोफेसर एम वी राजीव गौड़ा और बी के हरिप्रसाद शामिल हैं, जबकि भाजपा से प्रभाकर कोरे और जेडीएस के डी कुपेन्द्र रेड्डी रिटायर हो रहे हैं। वहीं संख्यबल को देखते हुए भाजपा अपने दो सदस्यों को आसानी से राज्यसभा में भेज सकती है जबकि कांग्रेस एक सदस्य को राज्यसभा में भेज सकती है। लेकिन जेडीएस के पास जरूरी आंकड़ा नहीं है। लिहाजा उसे इसके लिए कांग्रेस की मदद लेनी पड़ेगी। 

पिछले साल देवेगौड़ा ने अपने पोते प्रज्वल रेवन्ना के लिए हसन सीट को छोड़ा था। हसन को देवेगौड़ा का पारंपरिक गढ़ माना जाता है।  लेकिन देवेगौड़ा टुमकुर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए।  हालांकि उनके पोते ने हसन सीट को छोड़ने  की बात कही थी। लेकिन देवेगौड़ा परिवार कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। राज्य में राज्यसभा में जाने के लिए 44 वोटों की आवश्यकता होती है।

लिहाजा संख्याबल को देखते हुए भाजपा दो प्रत्याशियों को आसानी से राज्यसभा में भेज सकती है और उसकी नजर तीसरी सीट पर भी है।  वहीं कांग्रेस एक सीट आसानी से जीत सकती है जबकि जेडीएस के पास संख्याबल नहीं है। लिहाजा उसे इसके लिए कांग्रेस से मदद लेनी पड़ेगी। जनता दल के वर्तमान में राज्य विधान सभा में 34 सदस्य हैं और अपने दम पर राज्यसभा भेजने के लिए 10 मतों से कम है।
 

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