केरल में एक विधायक वाली भाजपा के खिलाफ गठबंधन की तैयारी में माकपा-कांग्रेस?

By Team MyNation  |  First Published Feb 11, 2019, 7:17 PM IST

इन अटकलों को कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख मुल्लापल्ली रामचंद्रन के एक रैली में दिए गए बयान से हवा मिली है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस एक सेक्यूलर मोर्चा बनाने और फासीवादी ताकतों से लड़ने के लिए सीपीएम की केरल ईकाई से बात करने को तैयार है। 

कोच्चि से सुप्रिया कृष्णामूर्ति की रिपोर्ट

2019 के महासमर की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। लोकसभा चुनाव से पहले केरल में सत्तारूढ़ वाम दल और कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन के हाथ मिलाने की अटकलें तेज होती जा रही हैं।  दोनों दलों के आम चुनाव से पहले 'रणनीतिक गठबंधन' करने की संभावना है। 

दरअसल, इन अटकलों को कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख मुल्लापल्ली रामचंद्रन के एक रैली में दिए गए बयान से हवा मिली है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस एक सेक्यूलर मोर्चा बनाने और फासीवादी ताकतों से लड़ने के लिए सीपीएम की केरल ईकाई से बात करने को तैयार है। हालांकि यह चुनावी रणनीति स्थानीय भावनाओं पर आधारित होगी।

कांग्रेस विधायक पीसी जार्ज के मुताबिक, 'पार्टी ने कहा है कि अगर माकपा राज्य में हिंसा न होने का भरोसा दिलाती है तो कांग्रेस राज्य में उनसे गठबंधन के लिए अपने दरवाजे खोल सकती है। हालांकि इस संबंध में कोई भी फैसला केंद्रीय समिति की बैठक के बाद होगा। दोनों ही दल राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं।'

कांग्रेस और वामदल पश्चिम बंगाल में हाथ मिलाने की तैयारी में हैं। क्या वे इसे केरल में भी अमलीजामा पहनाएंगे?

'माय नेशन' से बात करते हुए पल्लकड़ के माकपा सांसद एमबी राजेश ने कहा, राज्य में कांग्रेस और भाजपा उनकी पार्टी के चिर प्रतिद्वंद्वी हैं। कांग्रेस और माकपा के साथ आने का कोई सवाल ही नहीं है। हालांकि राज्य में भाजपा को हराना उनकी प्राथमिकता है। माकपा की पूरी कोशिश संसद में वाम सांसदों की संख्या बढ़ाना है। चुनाव के बाद उनकी पार्टी किसी गठबंधन पर विचार कर सकती है। राजेश ने कहा, 'हम केंद्र में धर्म निरपेक्ष सरकार चाहते हैं। यह चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा। इसके बाद ही किसी संभावना पर विचार होगा।' 

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल हालांकि गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते हैं। उनका कहना है, 'मैं नहीं मानता की दोनों दलों के बीच कोई गठबंधन होगा। लेकिन दोनों ही दलों की प्राथमिकता राज्य में भाजपा को हराना है। यहां यूडीएफ और एलडीएफ में सीधी लड़ाई है, लेकिन जब राष्ट्रीय स्तर की बात आती है तो तस्वीर दूसरी हो जाती है। यह चुनाव बाद की संभावना हो सकती है।'

भाजपा ने सबरीमला के मुद्दे पर लगातार उग्र रवैया अपनाकर हिंदू भावनाओं को अपने साथ जोड़ा है। राज्य में 56% आबादी हिंदुओं की है। खास बात यह है कि मोटे तौर पर ये लोग माकपा के समर्थक रहे हैं। 

भाजपा नेता श्रीधरन पिल्लई ने कहा, 'माकपा और कांग्रेस आज असहज स्थिति में हैं। वामदल केरल तक सिमट कर रह गए हैं। उनका कांग्रेस से गठबंधन करना यह दर्शाता है कि वे भाजपा से डरे हुए हैं। यह केरल में एक अपवित्र गठबंधन होगा।'

2016 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने 11% वोट हासिल किए थे। पार्टी को विधानसभा में एक सीट मिली थी। आज, भाजपा 20 लोकसभा सीटों की ओर देखने लगी है। 
 

click me!