सोशल मीडिया की बढ़ती भागीदारी और इसकी ताकत को देखते हुए चुनाव आयोग आगामी लोकसभा चुनाव में इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।
विश्वभर में चुनावों में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को देखते हुए भारत में भी चुनाव आयोग इसके लिए कड़े फैसले ले सकता है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग सोशल मीडिया में मतदान से 48 घंटे प्रतिबंधन के पक्ष में है। हालांकि ये प्रतिबंध मतदान के बाद समाप्त हो जाएगा।
सोशल मीडिया की बढ़ती भागीदारी और इसकी ताकत को देखते हुए चुनाव आयोग आगामी लोकसभा चुनाव में इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। चुनाव आयोग के द्वारा बनायी गयी कमिटी ने मतदान से 48 घंटे पहले सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। हालांकि अभी तक चुनाव आयोग ने इस पर कोई फैसला नहीं किया है। जबकि कमेटी जनवरी के महीने में ही अपनी सिफारिश दे चुकी है।
ऐसा कहा जा रहा है कि आयोग आगामी लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा से पहले इस पर फैसला लेगा। अगर यह फैसला लागू होता है तो फिर कोई भी व्यक्ति चुनाव होने के 48 घंटे पहले इससे संबंधित कोई भी जानकारी शेयर नहीं कर पाएगा। आयोग की कमेटी ने जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 126 के तहत सुझाव दिए हैं कि फेसबुक, व्हाट्सऐप और ट्विटर को किसी भी लोकसभा चुनाव क्षेत्र में इससे संबंधित किसी भी तरह की जानकारी को देने से 48 घंटे पहले रोक लगा दी जाए। इसके साथ ही यह रोक मतदान समाप्त होने तक लागू रहेगी।
आयोग ने वरिष्ठ उपचुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर इस पर सिफारिश मांगी थी। कमेटी का कहना है कि चुनाव से पहले 48 घंटे का वक्त मतदाता को इसलिए दिया जाता है ताकि वो चुप रहकर अपने पंसदीदा उम्मीदवार को वोट दे सके। लेकिन सोशल मीडिया के दौर में कई तरह की जानकारियां और खबरों के जरिए उसे प्रभावित किया जाता है। लिहाजा इस पर प्रतिबंध लगाया जाना जरूरी है। कमेटी के तर्क हैं कि किसी भी उम्मीदवार अथवा पार्टी के बारे में झूठी पोस्ट या फिर फर्जी वीडियो वोटरों को प्रभावित कर सकती है।