दूल्हा बनने जा रहे विकास खड़गावत सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर हैं। 11 अप्रैल को शादी में बंधने जा रहे विकास के पिता ने शादी के कार्ड में अपील छापकर कहा है कि शगुन में मिलने वाली राशि को वह भारत के वीर फंड में दान देंगे।
यह राजस्थान के साथ-साथ देश की सबसे अलग शादी होगी। यहां वर पक्ष ने शादी पर कोई भी तोहफा लेने से इनकार कर दिया है। अब कहने वाले कहेंगे कि इसमें क्या नया है। कई परिवार हैं, जो तोहफा लेना पसंद नहीं करते। दरअसल, यहां परिवार की अपील है कि शादी पर वर-वधु को शगुन न देकर उसे भारत के वीर फंड में जमा करा दें। यह फंड केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा देश के लिए शहीद होने वाले अर्धसैनिक बलों की वित्तीय मदद के लिए बनाया गया है। परिवार ने यह इच्छा बाकायदा शादी के कार्ड पर भी छपवाई है। खास बात यह है कि जिस शख्स की शादी हो रही है, वह खुद सीआरपीएफ में अधिकारी है। शादी के कार्ड पर लिखा है, पूरे परिवार की इच्छा है कि शगुन न लेकर उसे भारत के वीर फंड में दान करने का अनुरोध किया जाए।
यह शादी राजस्थान के गंगानगर के अमर पैलेज में 11 अप्रैल को होगी। इसका रिसेप्शन 15 अप्रैल को है। दूल्हा बनने जा रहे विकास खडगावत खुद सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर हैं। 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर एक फिदायीन हमला हुआ था। इसमें बल के 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे।
कन्या पक्ष ने भी फैसला किया है कि वह भारत के वीर फंड में दान देंगे। दूल्हे के पिता गोपाल खडगावत के मुताबिक, ‘यह मेरा विचार था कि बेटे की शादी में खर्च होने वाले पैसे को देश के लिए लड़ने वाले जवानों की खातिर दान दिया जाए। जब मेरी बेटी की शादी हुई तो मैंने फैसला किया कि मैं अपने बेटे की शादी में कोई तोहफा नहीं लूंगा। साथ ही परिवार और दोस्तों की ओर से शादी में जो शगुन दिया जाएगा उसे पूरा का पूरा शहीदों के फंड के लिए दान कर दूंगा। मैंने यह अपील शादी के रिसेप्शन कार्ड में भी छपवाई है। इसमें साफ लिखा गया है कि जो लोग भी शादी में दुआओं के साथ शगुन देना चाहते हैं, वह सारी राशि हम एक महीने के अंदर ही भारत के वीर फंड में दान कर देंगे।’
शुरुआत में गोपाल इस बात को लेकर चिंतित थे कि अगर वह रिश्तेदारों एवं मित्रों से शगुन नहीं लेंगे तो वे बुरा न मान जाएं। इसलिए मैंने फैसला किया कि वह शगुन स्वीकार तो करेंगे लेकिन उसे तुरंत भारत के वीर फंड में दान कर देंगे। हमने इसलिए लोगों को साफ कर दिया कि वो अपनी इच्छा के अनुसार जो चाहे दे सकते हैं।
गोपाल खड़गावत की ओर से परिवारिक सदस्यों एवं दोस्तों को लिखा गया है, ‘मैंने शगुन की परंपरा को बंद करने का फैसला किया है। लेकिन हो सकता है कि आप में से कुछ लोग इससे इत्तेफाक न रखें। इसलिए मैं शगुन तो स्वीकार करूंगा लेकिन पूरा का पूरा पैसा भारत के वीर फंड में दान कर दूंगा। इससे शहीदों के परिवारों की कुछ मदद हो सकेगी।’
क्या है ‘भारत के वीर’ फंड
2017 में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने bharatkeveer.gov.in वेबसाइट लांच की। इसमें भारत के वीर फंड की व्यवस्था की गई। इस वेबसाइट पर कोई भी किसी व्यक्ति शहीद के खाते में पैसा (अधिकतम 15 लाख रुपये) डाल सकता है। इसके अलावा भारत के वीर फंड में भी पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है। प्रत्येक शहीद के लिए 15 लाख रुपये की अधिकतम राशि की सीमा निर्धारित है। अगर किसी शहीद के लिए आ रहे दान की सीमा 15 लाख रुपये पहुंच जाती है तो दानदाता को अलर्ट किया जाता है और वह अपना योगदान घटा सकता है या अतिरिक्त राशि को किसी दूसरे शहीद के खाते में स्थानांतरित कर सकता है। राशि को भारत के वीर फंड में डाला जा सकता है।
भारत के वीर फंड का प्रबंधन वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और प्रख्यात लोगों की समिति करती है। इनकी संख्या बराबर होती है। समिति का काम यह तय करना होता है कि जरूरत और तात्कालिकता के आधार पर सैनिकों के परिवारों में पैसों का समान वितरण कैसे किया जाए। इस वेबसाइट के माध्यम से जमा होने वाली राशि को असम राइफल्स, बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एनएसजी और एसएसबी के जवानों के परिवारों को दिया जाता है।