राफेल पर फिर फंसे राहुल

By Siddhartha RaiFirst Published Oct 1, 2018, 6:58 PM IST
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निविदा में शामिल सभी बड़े खिलाड़ियों, जैसे कि टाटा, महिंद्रा, गोदरेज, सार्वजनिक क्षेत्र की बीईएल, एचएएल, स्नेक्मा-एचएएल में से डीआरडीओ को सफ्रान के साथ कावेरी जेट इंजन विकसित करने की परियोजना का सबसे बड़ा अनुबंध प्राप्त होगा। 

नई दिल्ली- मार्च के महीने में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युएल मैक्रोन की नई दिल्ली यात्रा के समय फ्रांसीसी सरकार ने जो दस्तावेज भारत को सौंपे थे, उनसे यह खुलासा होता है, कि डीआरडीओ को इस सौदे का सबसे बड़ा लाभ होता हुआ दिख रहा है।  
इस रिपोर्ट का शीर्षक है, ’36 राफेल ऑफसेट एंड मेक इंडिया’। 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने आरोपों से मोदी सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस धीरुभाई अंबानी ग्रुप(एडीएजी) को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाने की कोशिश की, जो कि रक्षा उपकरण निर्माण के क्षेत्र में बिल्कुल नई है और उसके पास एयरक्राफ्ट बनाने का कोई पुराना अनुभव नहीं है। कांग्रेस ने यह आरोप लगाया था, कि एडीएजी को लाभ पहुंचाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को नजरअंदाज किया गया।

निविदा में शामिल सभी बड़े खिलाड़ियों, जैसे कि टाटा, महिंद्रा, गोदरेज, सार्वजनिक क्षेत्र की बीईएल, एचएएल, स्नेक्मा-एचएएल में से डीआरडीओ को सफ्रान, जो कि पहले स्नेक्मा के नाम से जानी जाती थी, के साथ कावेरी जेट इंजन विकसित करने की परियोजना का सबसे बड़ा अनुबंध प्राप्त होगा। 
कावेरी इंजन परियोजना 2014 में रुक गई थी, क्योंकि यह यह मानव रहित वायुयानों और लड़ाकू जेट के लिए जरुरी थर्स्ट पैदा करने में विफल रही थी। अब इस इंजन को विकसित किया जाएगा और इसका इस्तेमाल भारत के बहुआयामी लड़ाकू विमान तेजस को को ताकत देने के लिए भी किया जाएगा। 
 
तीस हजार करोड़ के प्रोजेक्ट में शामिल 72 कंपनियों में से दस्सॉ, सफ्रान और थेल्स को यह काम दिया गया। बाद में दस्सॉ और सफ्रान एम-88 इंजन बनाने के काम में सम्मिलित हो गईं। वह इसके लिए एयरोनॉटिकल कॉम्पोनेन्ट, उपकरण, सॉफ्टवेयर विकसित करने में जुटी हुई हैं। थेल्स कंपनी एयरक्राफ्ट के लिए रडार और एवियोनिक्स इंटेग्रेशन के काम में व्यस्त है। 
 

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