पिछले एक महीने में पेट्रोल आठ रुपए और डीजल छह रुपए सस्ता हुआ है। लेकिन यह खबर सुर्खियों से बाहर है।
देश भर में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में कमी आने से महंगाई कम हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई गिरावट का असर दिखने लगा है।
पिछले सात सप्ताह से कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का रुख रहने से देश की राजधानी दिल्ली में 17 अक्टूबर के बाद पेट्रोल करीब साढ़े सात रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ है। जबकि डीजल के दाम में करीब साढ़े पांच रुपये प्रति लीटर की कमी आई है।
इसी तरह देश के अन्य हिस्सों में भी पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी आई है।
इससे से वाहन मालिकों के साथ साथ आम नागरिकों को महंगाई से राहत मिली है, क्योंकि तेल का दाम कम होने से मालभाड़ा समेत परिवहन खर्च में कमी आती है। इसकी वजह से चीजें सस्ती होती हैं।
तेल के आयात का बिल घटने से देश का चालू खाते का भी घाटा कम होता है।
जानकारों का मानना है के डीजल-पेट्रोल की कीमतों में गिरावट का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। क्योंकि कच्चे तेल के दाम में और भी कमी आ सकती है। इससे आने वाले समय में लोगों को और राहत मिल सकती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड इस सप्ताह 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे लुढ़क गया। वहीं, अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) का भाव बीते एक सप्ताह में करीब 10.70 फीसदी फिसल कर 50 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गया।
तीन अक्टूबर के बाद ब्रेंट क्रूड के दाम में 30 फीसदी से अधिक और डब्ल्यूटीआई के भाव में करीब 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
पिछले महीने डीजल और पेट्रोल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर जाने के बाद केंद्र सरकार ने चार अक्टूबर को तेल के दाम में 2.50 रुपये कटौती करने की घोषणा की थी, जिसके बाद से कीमतों में गिरावट का दौर लगातार जारी है।
केंद्र सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर उत्पादन शुल्क में 1.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी और एक रुपये प्रति लीटर की कटौती का बोझ तेल विपणन कंपनियों को वहन करने को कहा था। केंद्र के इस फैसले के बाद बीजेपी शासित कई राज्यों में भी तेल पर लगने वाले वैट में कटौती की गई थी।