केन्द्र की रिपोर्ट से गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ी, पहले से ही कठघरे में खड़े है राज्य सरकार

असल में केंद्रीय टीम ने एक कोटा अस्पताल का दौरा किया था, जहां पिछले साल दिसंबर में ही 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई। टीम का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधा में कई उपकरण काम नहीं कर रहे थे और वहां पर बच्चों की संख्या के आधार पर बेड की संख्या भी अपर्याप्त थी। इस मामले की जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने संसद में दी है। राज्य में इस अस्पताल में एक साल के दौरान एक हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी।

Gehlot government's problems increased due to Central report, State Government is already silence

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के कोटा के सरकारी अस्पताल में बच्चों की मौत के लिए अस्पताल की अव्यवस्था जिम्मेदार है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि कोटा के अस्पताल में बिस्तरों की अपर्याप्त संख्या में थे और उपकरण कार्य नहीं कर रहे थे। लिहाजा एक ही महीने में वहां पर 100 से ज्यादा शिशुओं की मृत्यु हुई। हालांकि राज्य सरकार पहले से ही बच्चों की मौत को लेकर घिरी हुई है। 

Gehlot government's problems increased due to Central report, State Government is already silence

असल में केंद्रीय टीम ने एक कोटा अस्पताल का दौरा किया था, जहां पिछले साल दिसंबर में ही 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई। टीम का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधा में कई उपकरण काम नहीं कर रहे थे और वहां पर बच्चों की संख्या के आधार पर बेड की संख्या भी अपर्याप्त थी। इस मामले की जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने संसद में दी है। राज्य में इस अस्पताल में एक साल के दौरान एक हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

जब ये मामला मीडिया में उछला तो राज्य सरकार ने अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी का ट्रांसफर कर दिया था। हालांकि बाल  आयोग ने भी राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। वहीं राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गैर जिम्मेदाराना बयान को लेकर राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी सवाल उटाए। उन्होंने कहा कि राज्य में एक साल से कांग्रेस की सरकार और अब इसकी जिम्मेदारी पिछली सरकार पर नहीं थोपी जा सकती है। वहीं विपक्ष में भी कांग्रेस नेताओं पर सवाल किया था।  

केन्द्रीय टीम ने माना कि मरने वाले नवजात शिशुओं में से अधिकांश जन्म के समय कम वजन के थे और 63% की मृत्यु 24 घंटे से कम समय में हुई थी।  रिपोर्ट में कहा गया कि एनआईसीयू और पीआईसीयू के लिए बेड-नर्स अनुपात क्रमशः 2: 1 के मानक के मुकाबले 10: 1 और 6: 1 था। 

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