फिलहाल कोरोना संकटकाल में केंद्र सरकार और 10 राज्यों के बीच जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर मतभेद हैं और जीएसटी क्षतिपूर्ति में कमी के कारण राज्यों को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की आज 43वीं बैठक होने जा रही है और आज की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खस्ताहाल आर्थिक हालात को देखते हुए कुछ राहत दे सकती हैं। वहीं बताया जा रहा है कि आज राज्यों के लिए कुछ बड़े फैसले हो सकते हैं। असल में इससे पहले राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति की रकम के भुगतान को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया था। लिहाजा माना जा रहा है कि आज इसको लेकर कोई फैसला हो सकता है।
फिलहाल कोरोना संकटकाल में केंद्र सरकार और 10 राज्यों के बीच जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर मतभेद हैं और जीएसटी क्षतिपूर्ति में कमी के कारण राज्यों को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कहीं राज्यों ने इसके लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं बताया जा रहा है कि आज की होने वाली बैठक में जीएसटी काउंसिल कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेगी। वहीं राज्यों के लिए अच्छी खबर आ सकती है। केंद्र सरकार ने राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति नहीं मिलने पर राजस्व में आई कमी की भरपाई के दो विकल्प दिए थे।
लेकिन गैर भाजपा शासित राज्यों ने केन्द्र सरकार के विकल्प से मना कर दिया था। इस विकल्प के तहत कर्ज लेने का विकल्प केन्द्र सरकार ने दिया था। वहीं आज की बैठक में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जबरदस्त बहस होने के आसार हैं। राज्यों का कहना है कि केंद्र को आरबीआई से पूरा कर्ज लेकर राज्यों को क्षतिपूर्ति भुगतान करना चाहिए। वहीं केरल तय शर्तों के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से पूरी क्षतिपूर्ति रकम की मांग कर रहा है। फिलहाल कोरोना संकट के कारण जीएसटी कलेक्शन में अभी 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है और 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी का बकाया है।
पांच अक्टूबर को हुई पिछली बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि राज्यों को 20,000 करोड़ रुपये दे दिए जाएंगे। वहीं केन्द्र सरकार ने राज्यों को विकल्प दिए थे, जिसके तहत राज्य रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज ले सकते हैं। वहीं केंद्र ने दूसरे के विकल्प के तौर पर कहा था कि स्पेशल विंडो के तहत पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये कर्ज लिया जा सकता है। हालांकि इसके लिए 21 राज्यों ने समर्थन किया था। हालांकि 10 गैर-भाजपा शासित राज्यों ने इसे मानने से इनकार कर दिया।