हालांकि इससे पहले दिन में, वित्त मंत्री अजीत पवार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन में 60 प्रतिशत तक की कटौती की घोषणा की थी, लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वेतन में कटौती नहीं की जाएगी, लेकिन केवल दो किश्तों में भुगतान किया जाएगा। इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन कटौती का कोई सवाल ही नहीं था, लेकिन इसका भुगतान किस्तों में किया जाएगा ताकि वित्तीय स्थिति बनी रहे।
मुंबई। महाराष्ट्र की शिवसेना की अगुवाई वाली उद्धव ठाकरे सरकार ने साफ किया है कि राज्य में किसी भी सरकारी कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जाएगा। सरकार ने साफ किया है कि वेतन स्टालमेंट में दिया जाएगा। वहीं कोरोना वायरस से लड़ रहे डाक्टर, हेल्थकेयर कार्यकर्ताओं और पुलिस को वेतन देने में प्राथमिकता दी जाएगी।
हालांकि इससे पहले दिन में, वित्त मंत्री अजीत पवार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन में 60 प्रतिशत तक की कटौती की घोषणा की थी, लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वेतन में कटौती नहीं की जाएगी, लेकिन केवल दो किश्तों में भुगतान किया जाएगा। इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन कटौती का कोई सवाल ही नहीं था, लेकिन इसका भुगतान किस्तों में किया जाएगा ताकि वित्तीय स्थिति बनी रहे।
ठाकरे ने कहा कि कोरोनोवायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं जैसे सरकारी डॉक्टरों, स्टॉफ और पुलिस के पहले वेतन दिया जाएगा वहीं उन्होंने इनकी तारीफ करते हुए कहा कि उनके वेतन में कमी का कोई सवाल ही नहीं है। ठाकरे ने कहा कि कोरोनोवायरस संकट के कारण आर्थिक संकट की आशंका है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चीजें हाथ से बाहर नहीं जाए लिहाजा वेतन का किस्तों में वेतन का भुगतान किया जाएगा। ठाकरे ने कहा कि राज्य में कोरोनोवायरस रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है क्योंकि राज्य में लगातार अधिक लोगों का परीक्षण किया जा रहा है।
राज्य में संख्या को 302 तक पहुंच गई है वहीं मंगलवार को ही अस्सी-दो नए रोगियों का पता चला। ठाकरे ने कहा कि मुंबई के कुछ इलाकों को एहतियात के तौर पर सील करने की जरूरत थी क्योंकि कोरोनोवायरस के मरीज वहां पाए गए थे। उन्होंने निजी डॉक्टरों से अपने क्लीनिक बंद नहीं करने का भी आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की सीमाओं के साथ-साथ जिलों को भी सील कर दिया गया है, लगभग 1,000 केंद्रों में दो लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को रखा गया है।