गुरमीत राम रहीम को लेकर आखिर फिर क्यों गर्माई हरियाणा की सियासत

By Team MyNation  |  First Published Jun 25, 2019, 11:13 AM IST

बहरहाल गुरमीत राम रहीम अपनी बेटी गुरांश की शादी के लिए पैरोल मांगी थी। ये शादी 10 मई को थी। लेकिन हाईकोर्ट में हरियाणा सरकार और सीबीआई ने इसका विरोध किया था। जिसके बाद राम रहीम ने अपनी अर्जी वापस ले ली थी।

चंडीगढ़। हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासत राम रहीम को लेकर गर्मा गयी है। हरियाणा सरकार राम रहीम को दिए जाने वाले पैरोल पर नरम है। हालांकि राज्य सरकार की तरफ से इस मामले में कोई कुछ नहीं बोल रहा है।  लेकिन एक बड़े वोट बैंक को देखते हुए अंदरखाने इसके लिए तैयारियां शुरू हो गयी हैं।

असल में डेरा सच्चा सौदा में साध्वियों के यौन शोषण के आरोप में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को पैरोल दिए जाने को लेकर हरियाणा सरकार नरम है। हालांकि बीजेपी की तरफ से भी कोई कुछ नहीं बोल रहा है। न ही सरकार और न ही बीजेपी की तरफ से कोई नेता खोले तौर पर बोल रहा है। असल में डेरा सच्चा के समर्थकों की संख्या और उनके प्रभाव को देखते हुए बीजेपी सरकार इस मामले में अपना राजनैतिक हित साधना चाहती है।

गुरमीत राम रहीम पैरोल चाहता है और इसका फैसला सरकार को ही करना है। हालांकि इसके लिए एक निश्चित प्रक्रिया है। जिस पर सिरसा प्रशासन फैसला करेगा। हरियाणा और पंजाब में डेरा सच्चा सौदा के प्रभाव को कोई नहीं नकार सकता है। राज्य में जो भी सरकार आती है वह डेरा सच्चा सौदा के पक्ष में ही खड़ी रहती है।

बहरहाल गुरमीत राम रहीम अपनी बेटी गुरांश की शादी के लिए पैरोल मांगी थी। ये शादी 10 मई को थी। लेकिन हाईकोर्ट में हरियाणा सरकार और सीबीआई ने इसका विरोध किया था। जिसके बाद राम रहीम ने अपनी अर्जी वापस ले ली थी। फिलहाल राज्य सरकार ने खुफिया एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है। इस पर एजेंसिया राम रहीम के बाहर आने के बाद पैदा होने वाली स्थितियों पर जायजा ले रहे हैं।

गुरमीत राम रहीम साध्वी यौन शोषण मामले में जेल में हैं। उनकी गिरफ्तार के दौरान पंचकूला में डेरा प्रेमियों ने जमकर हिंसा की थी। गौरतलब है कि गुरमीत सिंह को सीबीआई कोर्ट द्वारा 2017 को दो साध्वियों के साथ दुष्कर्म का दोषी करार दिया गया था। कोर्ट ने उन्हें 10-10 साल की कैद और 15-15 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। 

राज्य की कितनी सीटें हो सकती हैं प्रभावित

राज्य में दो दर्जन से अधिक सीटों पर डेरामुखी के समर्थकों का प्रभाव है। इन समर्थकों की संख्या प्रत्येक विधानसभा के आधार पर पांस से दस हजार से ज्यादा है। ये वोट एक मुश्त हैं। क्योंकि डेरा प्रमुख जिस पार्टी को वोट देने का आदेश देंगे ये समर्थक उसी पार्टी को वोट देंगे।

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