देखें नियाजी का कट्टरपंथी चेहरा, पाकिस्तान में रोका हिंदू मंदिर का निर्माण

पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यों ने इस्लामाबाद में मंदिर का निर्माण करने की योजना बनाई थी। इसके लिए पहले पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने तीन साल के बाद मंजूरी दी। लेकिन अब एक बार फिर मंदिर के निर्माण को रोक दिया गया है। पाकिस्तान में कृष्ण मंदिर का निर्माण राजधानी के एच-9 प्रशासनिक डिवीजन में 20 हजार वर्ग फुट क्षेत्र में किया जाना है। 

Imran government stopped construction of Hindu temple in Pakistan to please Muslim fundamentalists

नई दिल्ली। अल्पसंख्यकों के लिए नरक बन चुके पाकिस्तान में एक बार देश की इमरान खान सरकार की पोल खुल गई है। क्योंकि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए कोई अधिकार नहीं है। जहां पाकिस्तान में कहीं पर भी मस्जिद और मदरसों को खोला जा सकता है। वहीं पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में बनाए जाने वाले पहले हिंदू मंदिर के स्थल पर निर्माण कार्य को इमरान सरकार ने दिया है। 

Imran government stopped construction of Hindu temple in Pakistan to please Muslim fundamentalists

पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यों ने इस्लामाबाद में मंदिर का निर्माण करने की योजना बनाई थी। इसके लिए पहले पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने तीन साल के बाद मंजूरी दी। लेकिन अब एक बार फिर मंदिर के निर्माण को रोक दिया गया है। पाकिस्तान में कृष्ण मंदिर का निर्माण राजधानी के एच-9 प्रशासनिक डिवीजन में 20 हजार वर्ग फुट क्षेत्र में किया जाना है।

इस मंदिर के शिलान्यास मानवाधिकार मामलों के संसदीय सचिव लाल चंद मल्ही ने हाल ही भूमि पूजन किया था। लेकिन पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के अधीन राजधानी विकास प्राधिकरण कानूनी कारणों का हवाला देते हुए मंदिर के निर्माण को रोक दिया और चारदीवारी के निर्माण रोक लगा दी है। प्राधिकरण के बिल्डिंग कंट्रोल सेक्शन के अफसरों ने शुक्रवार को मंदिर के स्थल का दौरा कर निर्माण को रोकने का आदेश दिया।  वहीं पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसद मल्ही ने कहा मंदिर निर्माण के लिए सभी नियमों का पालन किया गया है।

मंदिर की चारदीवारी इसलिए जरूरी थी, क्योंकि कुछ समय पहले पास के मदरसे के छात्रों भूखंड पर तंबू लगा दिया था। जिसे बाद में हटाया गया और इसको हटाने में काफी समय लग गया था।  वहीं नगर प्राधिकरण का कहना है कि भवन नियंत्रण कानून के तहत भवन की योजना (मानचित्र) को मंजूरी मिलने के बाद से ही निर्माण किया जा सकता है। हालांकि ये कानून सिर्फ अल्पसंख्यकों पर लागू होते हैं। जबकि बहुसंख्यक कहीं भी मस्जिद और मंदिर बना सकते हैं।

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