इमरान खान और पाकिस्तान भारत को सहिष्णुता पर बेवजह सीख नहीं दे सकता है.. जाने क्यों

By Team MyNation  |  First Published Dec 24, 2018, 5:19 PM IST

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिल्म स्टार नसीरूद्दीन शाह के सहिष्णुता के बयान पर भारत को बेवजह और निराधार सीख देने की कोशिश की है। मायनेशन इस संदर्भ में कुछ ऐसे तथ्यों को उठा रहा है। पाकिस्तान के इस्लामिक कट्टरपंथियों के कारण वहां के अल्पसंख्यक खुद को एक ऐसे देश मे पाते हैं जो अरसे से इस इस्लामिक कट्टरवाद की तरफ बढ़ रहा है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिल्म स्टार नसीरूद्दीन शाह के सहिष्णुता के बयान पर भारत को बेवजह और निराधार सीख देने की कोशिश की है। मायनेशन इस संदर्भ में कुछ ऐसे तथ्यों को उठा रहा है। पाकिस्तान के इस्लामिक कट्टरपंथियों के कारण वहां के अल्पसंख्यक खुद को एक ऐसे देश मे पाते हैं जो अरसे से इस इस्लामिक कट्टरवाद की तरफ बढ़ रहा है।

पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक जैसे हिंदू, ईसाई, सिख, अहमदिया और हजारा लगातार रोज हिंसा के शिकार होते हैं। मानवाधिकार के हालात पर वहां के मानवाधिकार आयोग द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट, जो वहां की स्वर्गीय मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर को समर्पित की गयी है, उसमें कहा है कि पाकिस्तान में लोग अल्पसंख्यक लगातार गायब हो रहे हैं। पाकिस्तान के हालात काफी गंभीर हो रहे हैं और वह भारत में शांति की वकालत कर रहा है। 

कमीशन ने गायब होने वाले और असाधारण हत्याओं की बढ़ती घटनाओं और सैन्य अदालतों के क्षेत्राधिकार के विस्तार को खतरनाक बताया है। इस रिपोर्ट में इनके हालात पर चिंता जताई गयी है।
जब पाकिस्तान आजाद हुआ था, उस वक्त वहां के धार्मिक अल्पंसख्यकों की आबादी 20 फीसदी थी। जबकि 1998 की जनगणना के मुताबिक उनकी आबादी कम होकर 3 फीसदी ही रह गयी है। जबकि हालिया जनगणना की रिपोर्ट को जनता के बीच नहीं रखा गया है। क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि कई धार्मिक अल्पसंख्यक की संख्या में और बहुत ज्यादा गिरावट आयी है।

रिपोर्ट के मुताबिक वहां पर हिंदूओं को भारत के साथ कथित रिश्ते के कारण ज्यादा सताया जा रहा है। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा तादात में हिंदू अल्पसंख्यकों की है। पाकिस्तान की पूरी आबादी में हिंदू अल्पसंख्यकों की आबादी 70 लाख के करीब है जो वहां की अल्पसंख्यक आबादी में सबसे बड़ी आबादी है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ज्यादातर मामलों में हिंदू नाबालिक लड़कियों को अपहरण कर उन्हें जबरदस्ती इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूत किया जाता है और उनकी शादी मुस्लिम आदमियों के साथ करा दी जा जाती है।

क्रिश्चियन सपोर्ट ग्रुप की वर्ल्ड रिपोर्ट लिस्ट 2017 की चासीस देशों पर तैयार की गयी, रिपोर्ट में पाकिस्तान को चालीसवें दर्जे पर रखा गया है। जहां पर ईसाईयों की स्थिति सबसे खराब है। रिपोर्ट के मुताबिक क्रिसमस के दौरान वहां पर ईसाइयों के खिलाफ हिंसक वारदातें होती हैं और उनको निशाना बनाया जाता है। उनकी हत्याएं की जाती हैं, औरतों का अपहरण किया जाता है और बम विस्फोट किए जाते हैं। उनका धर्मांतरण किया जाता है और उन्हें अकसर ईशनिंदा कानून के तहत फर्जी केसों में फंसाया जाता है और उन्हें आंतकित किया जाता है। गैर मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न ही नहीं बल्कि इस्लाम को मानने वालों पर भी जुल्म किया जाता है। अब प्रताड़ित होकर हजारा समुदाय यूरोप के देशों में शरण ले रहे हैं और यही नहीं अहमदिया की बड़ी आबादी, इसी तरह यूरोप में निर्वासन की जिंदगी जी रही है।

हिंदू औरतों को सबसे ज्यादा पीड़ित किया जाता है क्योंकि उनका अपहरण किया जाता है और उन्हें इस्लाम को कबूलने के मजबूर किया जाता है। आयोग की सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वहां 2010 में हर महीने 20-25 हिंदू लड़कियों का अपहरण किया जाता था और उन्हें जबरदस्ती मुस्लिम बनाया जाता था। शिफिल्ड हलाम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सादिक भानभरो की पब्लिक हेल्थ और जेंडर बायस वाइलेंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2012-17 तक 286 लड़कियां का जबरदस्ती धर्मांतरण कराया गया। ये रिपोर्ट वहां से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों के आधार पर तैयार की गयी है जबकि ये आंकड़ा इससे कई गुना हो सकता है। दक्षिण एशिया भागीदारी पाकिस्तान के मुताबिक हर साल कम से कम एक हजार से ज्यादा, खासतौर से हिंदू लड़कियों का जबरदस्ती धर्मांतरण किया जाता है।

मानवाधिकार आयोग पाकिस्तान में काम करने वाले अमरनाथ मोटूमल के मुताबिक पाकिस्तान में हर महीने हिंदू लड़कियों को अपह्त किया जाता है और उनका धर्मांतरण किया जाता है। ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट मूवमेंट पाकिस्तान के द्वारा एक सर्वे का मानना है कि पाकिस्तान में 428 मंदिरों में से अब महज 20 मंदिर ही बचे हैं। -1990 में करीब 1000 हिंदू मंदिरों को उन्मादी मुस्लिमों ने निशाना बनाया था और उन्हें तबाह कर दिया था। वहां मंदिरों को तबाह करने के के बाद हिंदू डर के माहौल में रह रहे हैं और उन्होंने अपनी पहचान छिपा ली है और उन्होंने मुस्लिम नामों को अपना लिया है और उनके रहन सहन को अपना लिया है।

-1992 के दौरान कराची में भीड़ ने पांच हिंदू मंदिरों में हमला किया जबकि सिंध प्रांत में 25 मंदिरों को आगे हवाले कर दिया। जबकि लाहौर के जैन चौक पर स्थित जैन मंदिर को पूरी धर्मांध मुस्लिमों की भीड़ ने पूरी तरह से तबाह कर दिया।
-मानवाधिकार आयोग पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक 2013 में 1000 हिंदू परिवार भाग कर भारत आए। जबकि पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज की पार्टी के नेता डा. रमेश कुमार वनकानी ने संसद में माना कि हर साल 5 हजार लोग पाकिस्तान से भारत की ओर पलायन कर रहे हैं।
-बलूचिस्तान में 2005 को 32 हिंदूओं को नवाब अकबर बुग्ती के आवास में फायरिंग में मार दिया गया था। यह फायरिंग बुग्ती समर्थकों और पैरामिलेट्री फोर्स के बीच खूनी संघर्ष के बाद फोर्स ने की थी।
-18 अक्टबूर 2005 को कराची के पंजाब कालोनी में रहने वाली दंपत्ति सन्नो अमरा और चंपा जब अपने घर लौटे तो वहां उनकी तीन नाबालिग बेटियां गायब थी। जब स्थानीय थाने इस पर जांच की गयी तो तीनों को स्थानीय मदरसे में मिली और उन्हें मुस्लिम बना दिया गया था और उन्होंने कट्टरपंथियों के डर के कारण अपने माता पिता के साथ जाने से मना कर दिया।
-पाकिस्तान के हरीपुर जिले में मंदिर जनवरी 2017 को तबाह कर दिया गया।
-लाहौर में 2006 में एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के निर्माण के लिए लिए एक हिंदू मंदिर को नष्ट कर दिया गया।
-तालिबान ने 2009 को गैरमुस्लिमों पर जजिया कर लगाया और ओरराकजी एजेंसी में 11 सिख परिवारों के घरों को तबाह कर दिया था। क्योंकि उन्होंने जजिया कर देने से मना कर दिया था।
-जबकि ख्याबर एजेंसी में 2010 में सिख जसपाल सिंह का सिर धड़ से अलग कर दिया था क्योंकि उन्होंने जजिया कर देने से मना कर दिया था।
-इसके घटना के बाद हजारों सिख अपने घरों में बंधक बनने के लिए मजबूर हो गए या फिर पेशावर, हसनअबदल या नानकाना साहिब जैसे उन इलाकों में जाकर बस गए जहां पर सिखों की आबादी ज्यादा है।  
-जुलाई 2010 में हिंदओं पर हमला किया गया। क्योंकि उसने मस्जिद के बाहर लगे नल से पानी पिया। जिसके बाद हिंदूओं पर हमले शुरू हो गए।
-जनवरी 2014 को पेशावर के एक मंदिर में हमला कर वहां के एक गार्ड को मार दिया गया।
-लाहौर के दाता दरबार कांप्लेक्स के सूफी मंदिर में 2010 में दो आत्मघाती बम के हमले में पचास लोगों को मार दिया जबकि 200 लोग इसमें घायल हो गए। 
-जबकि मई 2010 में लाहौर में 94 लोगों को आत्मघाती हमलों में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा जबकि 120 लोग इस में घायल हो गए। ये हमला वहां पर अहमदिया मुसलमानों की मस्जिद में किया गया। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक ए पाकिस्तान की पंजाब विंग ने लिया। लेकिन इसमें पाकिस्तान पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध रही।
-2012 में जुनदलाह आंतकियों ने 2012 में 18 लोगों को घर से बाहर निकाल कर मार डाला जबकि ये शिया मुसलमान थे। इन आंतकियों ने अन्य मुस्लिमों को किनारे कर दिया और उन्हें हाथ तक नहीं लगाया।
-पाकिस्तान के ही पेशावर में 2013 को ऑल सेंट चर्च में किए गए दो आत्मघाती बम के हमलों में 127 लोगों की मौत हो गई और 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
-15 मार्च 2015 को रोमन कैथोलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च में रविवार के दिन लाहौर में दो बम धमाके किए। जिसमें 15 लोगों की मौत हो गयी और 70 लोग घायल हो गए।
-मार्च 2014 को मुस्लिमों की भीड़ ने ललकाना के धर्मशाला, सिंध पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों को आग के हवाले कर दिया। क्योंकि इन लोगों का आरोप था कि एक हिंदू युवक ने कुरान को अपवित्र किया है।
-ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट मूववेंट के एक सर्वे के मुताबिक 1990 से 95 फीसदी हिंदू मंदिरों को दूसरे धर्म के धार्मिक स्थलों में बदल दिया गया है। 
-क्वेटा के एक चर्च में बम से हमला किया गया जिसमें 9 लोगों की मौत हो गयी और इस्लामिक स्टेट ग्रुप ने इसकी जिम्मेदारी ली थी।

क्या ये घटना काफी नहीं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किस तरह का बर्ताव किया जा रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक किस तरह डर के माहौल में जी रहे हैं और किस तरह उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। ये अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की रिपोर्ट से ही जाहिर हो जाती है। भारत में एक अभिनेता के बयान पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत को नसीहत देने लगते हैं।

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