माना जा रहा है कि पाकिस्तान की सेना मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर ज्यादा खुश नहीं है। लिहाजा पाकिस्तान के ज्यादातर फैसलों में सेना का दखल है और वह देश के बड़े फैसले कर रही है। पाकिस्तान में राजनीतिक उथलपुथल चल रही है और प्रधानमंत्री इमरान खान के सऊदी अरब और अन्य इस्लामी राष्ट्रों के साथ संबंध बिगड़ रहे हैं।
नई दिल्ली। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें आने वाले समय में बढ़ सकती हैं। क्योंकि पाकिस्तान की सियासत में आने वाले दिनों में सेना के पूर्व जनरल राहेल शरीफ चुनौती पैदा कर सकते हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना भी राहेल शरीफ को मदद कर सकती है। वहीं सऊदी अरब राहेल शरीफ को पाकिस्तान में इमरान के खिलाफ खड़ा करने की तैयारी में है।
माना जा रहा है कि पाकिस्तान की सेना मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर ज्यादा खुश नहीं है। लिहाजा पाकिस्तान के ज्यादातर फैसलों में सेना का दखल है और वह देश के बड़े फैसले कर रही है। पाकिस्तान में राजनीतिक उथलपुथल चल रही है और प्रधानमंत्री इमरान खान के सऊदी अरब और अन्य इस्लामी राष्ट्रों के साथ संबंध बिगड़ रहे हैं। जिसके कारण आने वाले दिनों पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। पिछले दिनों ही सऊदी ने पाकिस्तान से नाता तोड़ लिया और दीर्घकालिक ऋण और तेल आपूर्ति समझौते को समाप्त कर दिया था। सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों के इमरान खान के साथ संबंधों में टकराव देखा जा रहा है।
लिहाजा माना जा रहा है कि पाकिस्तान के सेवानिवृत्त जनरल रहेल शरीफ राजनीति में कदम रख सकते हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके वर्तमान सेना प्रमुख -जनरल क़मर जावेद बाजवा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। लिहाजा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान के बाद ही बाजवा सऊदी अरब गए थे। लेकिन सऊदी शाह ने बाजवा से मिलने से मना कर दिया था। माना जा रहा है सऊदी अरब जनरल राहेल शरीफ को राजनीति में प्रवेश कराना चाहता है और उनके साथ सऊदी अरब और कई अन्य खाड़ी देशों का समर्थन है। राहेल शरीफ 2016 में सेनाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। राहेल शरीफ के सेनाध्यक्ष के रहते हुए पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में भारी कमी आई।
वहीं राहेल ने राजनीतिक शक्ति को संभालने के बजाय सेवानिवृत्त होना चुना था। वहीं बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद ने सऊदी प्रिंस से रियाद की यात्रा की है। असल में इमरान ख़ान ने तुर्की, मलेशिया और चीन के क़रीबी बनकर सऊदी अरब और कई अन्य देशों पर दबाव बनाने की कोशिश की है। लिहाजा सऊदी अरब अन्य मुस्लिम देशों के साथ इमरान खान की सियायत को खत्म करना चाहता है। वहीं पाकिस्तान के समर्थन से तुर्की विशेष रूप से ओआईसी में सभी इस्लामी देशों के नेतृत्व करना चाहता है। जिसके बाद से ही सऊदी और अन्य अरब देश पाकिस्तान से नाराज हैं।