चीन सीमा पर बॉम्बिंग रेंज बनाने की तैयारी में भारत, जानिए क्या होगा इसका फायदा

By Ajit K Dubey  |  First Published Oct 10, 2018, 1:30 PM IST

भारतीय वायुसेना दुनिया की उन चुनिंदा हवाई सेनाओं में से है, जिसने ऊंचे पर्वतीय इलाकों में दुश्मन के गुप्त ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाने का कारनामा अंजाम दिया है। कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना ने दुश्मन की रीढ़ तोड़ दी। 

चीन की वायुसेना तिब्बत में अपनी मौजूदगी लगातार बढ़ा रही है। ऐसे में भारतीय वायुसेना भी ऊंचाई वाले दुर्गम स्थानों पर युद्ध के लिए तैयार हो रही है। इसी को देखते हुए भारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए चीन सीमा पर ऊंचाई वाले इलाके में वॉरफेयर रेंज बनाने जा रहा है। यह रेंज उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बनाई जाएगी। यहां राफेल, सुखोई-30 और मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमान दुर्गम पर्वतीय इलाकों में अपने लक्ष्यों को निशाना बनाने का अभ्यास कर सकेंगे। 

भारतीय वायुसेना दुनिया की उन चुनिंदा हवाई सेनाओं में से है, जिसने ऊंचे पर्वतीय इलाकों में दुश्मन के गुप्त ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाने का कारनामा अंजाम दिया है। कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना ने दुश्मन की रीढ़ तोड़ दी। वायुसेना द्वारा की गई बमबारी से कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान की सप्लाई चैन टूट गई थी। 

सरकार के सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया, 'उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में एक बॉम्बिंग रेंज बनाने की मंजूरी के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया था। इस रेंज को तैयार करने का मकसद दुर्गम इलाकों में शत्रु के छिपे हुए ठिकानों का पता लगाकर उसे बर्बाद करने का अभ्यास करना है। इसमें वायुसेना के सभी लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया जाएगा। यानी एयरफोर्स के सभी मौजूदा और भविष्य में शामिल होने वाले लड़ाकू विमानों को इन ठिकानों पर बॉम्बिंग का अभ्यास करने में मदद मिलेगी।'

उत्तराखंड सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इस नई रेंज के बनने के बाद वायुसेना के जंगी पायलटों को निकट भविष्य में इस तरह की परिस्थितियों में युद्ध के लिए अपनी तैयारियों को विस्तार देने में मदद मिलेगी। हाल के समय में चीनी सेना की ओर से उत्तराखंड में कई बार घुसपैठ की कोशिश की गई है। चीन की पैदल सेना और हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा में घुसे हैं। 

वायुसेना के दो मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार होने की कोशिशों को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की पूरा समर्थन हासिल है। हाल ही में उन्होंने गुजरात के डीसा जिले में नए लड़ाकू विमानों के लिए बेस बनाने की मंजूरी दी है। इसे पाकिस्तान की ओर से भारत के पश्चिमी हिस्से को निशाना बनाने के लिए बनाए गए ठिकानों का जवाब बताया जा रहा है। 

भारत के लड़ाकू विमान चीनी और पाकिस्तानी मोर्चे पर जंग के लिए तैयार रहने को लद्दाख की ऊंचाई वाले इलाकों पर अभ्यास करते हैं। इस रेंज की ऊंचाई 14,000 फीट से 19,000 फीट है। उत्तराखंड में जो नई रेंज बनाई जाएगी उसकी ऊंचाई 13,000 फीट होगी। लेकिन यह रेंज तिब्बत की सतह के जैसी है। तिब्बत पर चीन का कब्जा है। वह तिब्बत के अपना इलाका होने का दावा करता है। 

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