भारत ने जम्मू कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की बर्बर हत्या और पाकिस्तान द्वारा कश्मीरी आतंकवादी बुरहान वानी का महिमामंडन करने वाली डाक टिकटें जारी करने का हवाला देते हुए यह एलान किया।
न्यूयॉर्क में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक पर राजी होने के महज 24 घंटे बाद शुक्रवार को सरकार ने कहा कि कोई बैठक नहीं होगी।
भारत ने जम्मू कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की बर्बर हत्या और पाकिस्तान द्वारा कश्मीरी आतंकवादी बुरहान वानी का महिमामंडन करने वाली डाक टिकटें जारी करने का हवाला देते हुए यह एलान किया।
बैठक रद्द करने की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि घटनाक्रमों से विश्व के समक्ष पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान का ‘असली चेहरा’ तथा बातचीत के प्रस्ताव के पीछे छिपा इस्लामाबाद का नापाक एजेंडा ‘सामने आ गया है।’
भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके पाकिस्तानी समकक्ष महमूद कुरैशी के बीच बैठक का खान का आग्रह गुरुवार को स्वीकार कर लिया था।
कुमार ने कहा, ‘पाकिस्तान स्थित तत्वों की ओर से सुरक्षाकर्मियों की बर्बर हत्या और एक आतंकवादी (बुरहान वानी) को महिमामंडित करते हुए 20 डाक टिकटों की श्रृंखला जारी करने की घटना तथा आतंकवाद से इस बात की पुष्टि होती है कि पाकिस्तान नहीं सुधरेगा।’
उन्होंने कहा कि बेहद परेशान करने वाली दोनों घटनाएं कल भारत द्वारा बैठक के लिए पाकिस्तान का आग्रह स्वीकार किए जाने के बाद हुईं। पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों के अनुसार इस साल 24 जुलाई को जम्मू कश्मीर तथा कश्मीरी आतंकवादी बुरहान वानी का ‘महिमामंडन’ करने वाली 20 डाक टिकटें जारी की गई।
हिजबुल मुजाहिदीन ने शुक्रवार को दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में तीन पुलिसकर्मियों का उनके घरों से अपहरण कर लिया था और गोली मारकर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी।
घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार की निंदा की और कहा कि जब पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर में सीमा पर भारतीय सुरक्षाकर्मियों को मार रहे हैं तो ऐसे समय इस तरह की बैठक स्वीकार करने के पीछे क्या तर्क है।
कुमार ने कहा कि बैठक के लिए पाकिस्तान के प्रस्ताव को स्वीकार करने का भारत का फैसला खान और कुरैशी द्वारा अलग-अलग पत्रों में दिखाई गई भावना के जवाब में था। उन्होंने कहा, ‘अब यह स्पष्ट है कि बातचीत के लिए पाकिस्तान के प्रस्ताव के पीछे का नापाक एजेंडा और पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान का असली चेहरा विश्व के समक्ष आ चुका है।’
कुमार ने कहा कि ऐसे माहौल में पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत ‘अर्थहीन’ होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘बदली परिस्थितियों में न्यूयॉर्क में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच कोई बैठक नहीं होगी।’
भारत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया कि नई दिल्ली में एक गुट है जो नहीं चाहता कि पाकिस्तान से बातचीत हो। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने कुरैशी के हवाले से कहा कि भारत ने बातचीत के पाकिस्तान के न्यौते पर सकारात्मक तरीके से प्रतिक्रिया नहीं दी।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि भारत ने अगले वर्ष प्रस्तावित अपने चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। पाकिस्तान ने क्षेत्र के वृहद हित में बातचीत के लिए कहा था।’ कुरैशी ने कहा कि ऐसा लगता है कि ‘भारत की बातचीत के बजाय अन्य प्राथमिकताएं हैं।’
वर्ष 2016 में पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर आतंकी हमले के बाद दोनों देशों की बातचीत ठहर गयी थी। इसके बाद यह स्वराज और कुरैशी के बीच दोनों देशों की इस तरह की पहली उच्चस्तरीय बैठक होती।
मुलाकात के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए भारत ने हालांकि स्पष्ट किया था कि यह वार्ता की शुरुआत नहीं है और सीमा पार आतंकवाद पर देश के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘देर आए दुरुस्त आए। कभी कभार हमें भी श्रेय दिया जाना चाहिए।’