पाकिस्तान की ओर से बढ़ते खतरे के बावजूद एंटी यूएवी पॉलिसी का इंतजार। चाल साल से जारी कवायद को नहीं दिया जा सकता है अंतिम रूप।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान में काफी तनाव है। बालाकोट में वायुसेना की एयर स्ट्राइक के बाद से पाकिस्तान भारतीय प्रतिष्ठानों पर हवाई हमला करने की फिराक में है। हैरानी की बात यह है कि राष्ट्रीय राजधानी और देश के दूसरे हवाईअड्डों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार एजेंसियों को चार साल से एंटी-यूएवी पॉलिसी का इंतजार है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय किसी संदिग्ध यूएवी (मानव रहित व्हीकल) या ड्रोन को मार गिराने के लिए किसी नीति को अंतिम रूप देने में नाकाम रहा है। अब भी यह प्रक्रिया चल रही है, जबकि देश में हवाई हमले का खतरा मंडरा रहा है।
दरअसल, नीति बनाने की कवायद पिछले चाल साल से जारी है। लेकिन सरकार ऐसी किसी पॉलिसी को अंतिम रूप नहीं दे सकी है, जो यह साफ करे कि किसी हवाई हमले की स्थिति में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका क्या होगी।
केंद्रीय ओद्यौगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक राजेश रंजन के मुताबिक, इस समय वायुसेना समेत सभी सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका को लेकर एक नीति तैयार की जा रही है। फिलहाल सुरक्षा के लिए एक अस्थायी एसओपी का पालन किया जा रहा है, जिसमें एजेंसियों को अलग-अलग भूमिकाएं दी गई हैं। रंजन ने कहा, 'हम किसी भी यूएवी और संदिग्ध ड्रोन को लेकर नीति तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। विभिन्न एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं। जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।'
जब उनसे पूछा गया कि यूएवी अथवा ड्रोन से किसी भी तरह का हमला होने की स्थिति में सुरक्षा एजेंसियां मामले को कैसे संभालेंगी, सीआईएसएफ के महानिदेशक ने कहा, 'इस समय हम एक अस्थायी एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) का पालन कर रहे हैं। इसमें किसी भी हमले की स्थिति में सभी एजेंसियों की भूमिका तय की गई है। इसके ज्यादा ब्यारो साझा नहीं किया जा सकता है।'
सूत्रों के अनुसार, इस समय की व्यवस्था के मुताबिक, एयरपोर्ट के 500-700 मीटर के दायरे की हवाई सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ पर है। किसी संदिग्ध ड्रोन के दिखने की स्थिति में वह इसे मार गिराने का फैसला ले सकता है। हालांकि यह आकार में बड़ा ड्रोन होता है तो इसपर फैसला वायुसेना लेती है, क्योंकि वह रडार और दूसरी तकनीक से लैस है और किसी भी घुसपैठ करने वाले ड्रोन का पता लगा सकती है।
सीआईएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'माय नेशन' को बताया, 'पहले यह फैसला किया गया था कि किसी भी हवाई हमले का जवाब देने की जिम्मेदारी वायुसेना की होगी। लेकिन वायुसेना ने बड़े आकार के यूएवी से निपटने का जिम्मा अपने पास रखा। बाद में सीआईएसएफ और स्थानीय पुलिस से कहा गया कि वे छोटे आकार के यूएवी की घुसपैठ पर नजर बनाए रखें। अगर एयरपोर्ट परिसर अथवा हवाई क्षेत्र के आसपास कोई संदिग्ध यूएवी अथवा ड्रोन नजर आता है, तो सीआईएसएफ उसे मार गिरा सकता है।'
भारत अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान के दो ड्रोन पहले ही मार गिरा चुका है। बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर वायुसेना के हवाई हमले के बाद पाकिस्तान भारत में हवाई हमला करने को लेकर बेचैन है।