मोदी सरकार का बड़ा दाव, अब 'बुलेट' पर चीन को मात देने की तैयारी

देश में बुलेट गलियारा बिछाने और बुलेट ट्रेन के डिब्बों की लागत घटाने के लिए मोदी सरकार ने जापान के सामने एक प्रस्ताव रखा है।

India keen to locally manufacture and export bullet train coaches

भले ही भारत में पहली बुलेट ट्रेन के मुंबई-अहमदाबाद के बीच 2022 तक चलने की संभावना है लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इससे आगे की रणनीति तैयार कर ली है। देश में बुलेट गलियारा बिछाने और बुलेट ट्रेन के डिब्बों की लागत घटाने के लिए मोदी सरकार ने जापान के सामने एक प्रस्ताव रखा है। मोदी  सरकार देश में ही बुलेट ट्रेन के कोच बनाना चाहती है। ताकि इनके आयात पर खर्च होने वाली बड़ी राशि बचाई जा सके। साथ ही चीन को इस क्षेत्र में चुनौती दी जा सके। 

अभी चीन दुनिया में बुलेट के कोचों की बड़े पैमाने पर आपूर्ति करता है। मोदी सरकार की योजना है कि जापान से तकनीकी हस्तांतरण का समझौता कर देश में ही बुलेट के कोच बनाए जाएं और चीन से कम दाम पर दूसरे देशों को भी उनकी आपूर्ति की जाए। इसके लिए जापान के सामने प्रस्ताव रख दिया गया है। 

 जापान देश के पहले बुलेट प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रहा है। भारत में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की अंतिम समय सीमा दिसंबर 2023 है, लेकिन  सरकार इस प्रोजेक्ट को 15 अगस्त 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर देश को यह तोहफा दिया जाए। 

रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंजन एवं डिब्बे) राजेश अग्रवाल के मुताबिक, 'हमने जापान को प्रस्ताव दिया है कि बुलेट ट्रेन के डिब्बों को स्थानीय स्तर पर तैयार करने के लिए वे हमें तकनीकी मदद दें। एक बार ऐसा होने पर हम कम लागत पर डिब्बों का निर्माण कर सकते हैं। वे दुनिया में सबसे सस्ते होंगे।' शुरुआत में भारत 18 शिंकांसेन ट्रेनों को जापान से 7,000 करोड़ रुपये में खरीदेगा।

उन्होंने कहा, 'फिर हम उनका निर्माण दुनियाभर के लिए कर सकते हैं। अधिकतर देश फिर चीन के मुकाबले हमसे इसे खरीदेंगे। फिर सिर्फ दक्षिण-पूर्वी देश ही नहीं बल्कि यूरोप और अमेरिका जैसे देश भी इसे हमसे खरीदेंगे।' 

उन्होंने कहा कि रायबरेली स्थित आधुनिक कोच कारखाना इस तरह के डिब्बों के निर्माण के लिए पूरी तरह तैयार है। अग्रवाल ने बताया कि रेलवे के पास करीब 1,50,000 कुशल श्रमिक, 50 रेलवे वर्कशॉप और छह उत्पादन इकाई हैं। 

भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सु ने कहा कि शिंकांसेन ट्रेनों के स्थानीय निर्माण को लेकर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, इस बारे में बातचीत हो रही है। मेरा मानना है कि इसका स्थानीय स्तर पर निर्माण ही सर्वश्रेष्ठ है और हम इस बारे में गंभीर तौर पर विचार कर रहे हैं।

यदि सरकार इसमें सफल होती है तो इससे सरकारी संगठनों के लिए कारोबार के नए अवसर खुलेंगे। हाईस्पीड रेल नेटवर्क क्षेत्र में दुनियाभर में बहुत संभावनाएं हैं। अमेरिका, वियतमान, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और इंडोनेशिया में इस दिशा में विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है। 

भारत में बनने वाले हाई स्पीड रेल नेटवर्क की लंबाई 508 किलोमीटर होगी। इसमें 12 स्टेशन होंगे। इसका करीब 350 किलोमीटर हिस्सा गुजरात में और 150 किलोमीटर महाराष्ट्र में होगा। हर बुलेट ट्रेन में 10 कोच होंगे जिसमें एक बिजनेस क्लास और नौ सामान्य श्रेणी के होंगे। इस रेल का न्यूनतम किराया 250 रुपये और अधिकतम 3,000 रुपये प्रति व्यक्ति रहने का अनुमान है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम जारी है।
 

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