भारत में थम नहीं रहा बाघों का शिकार, 10 साल में शिकारियों ने 429 बाघों को मारा

By Shashank Shekhar  |  First Published Apr 5, 2019, 6:09 PM IST

आरटीआई से हुए खुलासे के मुताबिक, पिछले दस साल में भारत में कुल 844 बाघों की मौत हुई है। दुनिया में सबसे ज्यादा बाघ भारत में हैं। 

भारत में लगातार बाघों की संख्या घटती जा रही है। पिछले दस साल में भारत में 844 बाघों की मौत हुई है। सबसे हैरानी की बात यह है कि इसमें से 429 बाघों को शिकारियों ने मारा है। 

यह खुलासा एक आईटीआई से हुआ है। नोएडा के रहने वाले रंजन तोमर की आरटीआई के जवाब में बाघों के संरक्षण के लिए काम करने वाली केंद्रीय संस्था नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने बताया है कि बाघों की मरने की संख्या लगातार बढ़ी है। संकटग्रस्त इस जीव का शिकार रोकने के उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। पिछले दस  साल में मरने वाले बाघों में से आधे शिकारियों का निशाना बने हैं।  

2009 के आरटीआई डाटा के अनुसार, देश में 66 बाघों की मौत हुई। सबसे ज्यादा 15 बाघ मध्य प्रदेश में मरे। इसके बाद 11 बाघों की मौत के साथ कर्नाटक दूसरे पायदान पर रहा। साल 2010 में यह संख्या 53 थी। सबसे ज्यादा आठ बाघ असम और महाराष्ट्र में मरे। साल 2011 में 56 बाघों की मौत हुई। इनमें से एक बाघ को नरभक्षी होने के बाद मारना पड़ा था। 

साल 2012 से ये आंकड़ा लगाता बढ़ना शुरू हुआ। 2012 में सबसे ज्यादा 88 बाघ मारे गए। इसी तरह साल 2013, 2014 और 2015 में क्रमशः 68, 79 और 82 बाघों की मौत हुई। 

बाघों की मौत के मामले में साल 2016 सबसे खराब रहा। इस दौरान यह आंकड़ा सीधे 120 पर जा पहुंचा। इसके बाद से हर बार बाघों की मौत का आंकड़ा 100 से ऊपर रहा है। 2017 में जहां 116 बाघों की मौत हुई वहीं साल 2018 में 102 बाघ मारे गए। केंद्र सरकार की ओर से कई उपाय करने के बावजूद बाघों की मौत के आंकड़े कम नहीं हो सके हैं। 

रंजन तोमर ने ‘माय नेशन’ को बताया, ‘यह काफी चौंकाने वाला है कि इतने हो-हल्ले के बावजूद हम बाघों की मौत के मामलों के नियंत्रित नहीं कर पाए हैं, जबकि खाद्य श्रृंखला में बाघ सबसे ऊपर आते हैं। सबसे चिंता की बात यह है कि लगातार संकटग्रस्त यह प्रजाति शिकारियों के निशाने पर है। इस डाटा से साफ होता है कि कोई भी सरकार शिकारियों द्वारा बाघों का शिकार रोकने में सफल नहीं रही है। यह चिंताजनक है।’

पिछले 10 साल में शिकारियों ने 429 बाघों का शिकार किया है। साल 2008 से 2018 (नवंबर) तक 961 लोगों को बाघों के कथित शिकार के आरोप में पकड़ा गया है। 

तोमर ने सरकार की ओर से शिकार की संख्या कम बताए जाने को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, ‘यह मामला काफी संवेदनशील है। कई मामलों की अभी जांच चल रही है। इसलिए पूरी संभावना है कि शिकार के मामलों की संख्या काफी ऊपर जा सकती है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि बाघों के शिकार की संख्या को कम दर्शाने के लिए उनकी मौत का कारण आपसी लड़ाई या प्राकृतिक वजह बताई गई हो।’

बाघों के संरक्षण के लिए साल 1973 में सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, 2014 के अनुमान के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा 2,226 बाघ भारत में हैं। 

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