ऐसा पहली बार नहीं है जब प्रतिबंधित आतंकी संगठनों ने एनक्रिप्टेड चैट प्लेटफॉर्म टेलीग्राम का इस्तेमाल अपना दुष्प्रचार फैलाने के लिए किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्विटर और फेसबुक द्वारा आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले एकाउंट्स पर कार्रवाई करने के बाद ऐसे लोग टेलीग्राम का इस्तेमाल करने लगे हैं।
दुर्दांत आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के सरगना अबु बकर अल बगदादी ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। अभी तक माना जा रहा था कि वह एक हवाई हमले में मारा गया है और इस्लामिक स्टेट का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। लेकिन साल 2014 के बाद बगदादी अचानक से साने आ गया है। उसका एक ताजा वीडियो आया है और इसमें वह श्रीलंका में ईस्टर के दिन हुए धमाकों पर बात कर रहा है। हालांकि इस वीडियो की प्रमाणिकता अभी पुष्ट नहीं हुई है।
18 मिनट के इस वीडियो को अल-फुरकान मीडिया ग्रुप नाम के संगठन ने सोशल मैसेजिंग एप्लीकेशन टेलीग्राम के जरिये जारी किया है। इसके बाद एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि आतंकी संगठन अपने संवाद के लिए सोशल मीडिया एप्लीकेशंस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है जब प्रतिबंधित आतंकी संगठनों ने एनक्रिप्टेड चैट प्लेटफॉर्म टेलीग्राम का इस्तेमाल अपना दुष्प्रचार फैलाने के लिए किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्विटर और फेसबुक द्वारा आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले एकाउंट्स पर कार्रवाई करने के बाद ऐसे लोग टेलीग्राम का इस्तेमाल करने लगे हैं।
TERRORISTS ON TELEGRAM! has been abuzz with the video and related messages since yesterday. Read the link below to understand how it came to be the most preferred social media platform for terror groups. https://t.co/bvBvdG0Xyy
— Rema Rajeshwari IPS (@rama_rajeswari)इस तरह के प्लेटफॉर्म न सिर्फ कम्यूनिकेशन के लिए इस्तेमाल होते हैं बल्कि इनका इस्तेमाल कर आतंकी नए युवाओं को भी भर्ती कर रहे हैं। आईएसआईएस ने इस एप की मदद से बर्लिन में क्रिसमस बाजार में धमाकों के लिए आतंकियों की भर्ती की और फिर इस हमले की जिम्मेदारी भी ली। उधर तुर्की के जांचकर्ता ने पाया कि इस्तांबुल में राइना नाइटक्लब में नए साल की पूर्व संध्या पर हुए शूटआउट का हमलावर रक्का में बैठे आईएसआईएस के लीडर से टेलीग्राम पर निर्देश पा रहा था।
आईएसआईएस अपने प्रभाव को दुनिया भर में फैलाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करती रही है। इसमें फाइल शेयर करने वाले प्लेटफॉर्म से मैसेंजर एप्लीकेशन और सोशल मीडिया सर्विस शामिल हैं। इसी तरह भारत में भी प्रतिबंधित संगठन अपनी जड़ें फैलाने के लिए तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं।
यहां तक कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी टेलीग्राम प्लेटफॉर्म के यूजर्स को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। उनकी मांग है कि टेलीग्राम अपने यूजर्स के बारे में सूचनाएं जारी करे या खुफिया एजेंसियों को एनक्रिप्टेड मैसेज पढ़ने के लिए ‘बैक डोर’ उपलब्ध कराए। इसे लेकर टेलीग्राम लगातार अपना विरोध जता रहा है।
इस एप में सेल्फ-डिस्ट्रक्ट मैसेज फीचर है, क्योंकि संदेश एनक्रिप्टेड होते हैं इसलिए कानूनी एजेंसियों के लिए उनके मूल स्रोत का पता लगाना कठिन होता है। टेलीग्राम का दावा है कि उसका क्लाउड चैट डाटा दुनिया भर के कई डाटा सेंटर में स्टोर है। उनका नियंत्रण अलग-अलग अधिकार क्षेत्र वाली कानूनी संस्थाओं के पास है। संबंधित डिस्क्रिप्शन ‘की’ कई हिस्सों में बंटी होती है। यह कभी भी एक जगह नहीं होती है। इससे वे डाटा की सुरक्षा करते हैं। इसका नजीता यह है कि उन्हें किसी भी तरह के डाटा को देने के लिए बाध्य करने से पहले अलग-अलग अधिकार क्षेत्र वाली अदालतों से आदेश की आवश्यकता होगी।
क्या है टेलीग्राम
इस एप को साल 2013 में लांच किया गया था। यह व्हाट्सएप और दूसरे चैटिंग एप की ही तरह है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत एप की सिक्योरिटी है। टेलीग्राम का दावा है कि उसकी प्रत्येक गतिविधि जिसमें चैट, ग्रु और मीडिया शामिल हैं, एनक्रिप्टेड हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर उन्हें इंटरसेप्ट किया जाता है तो देखने से पहले उनकी व्याख्या करनी होगी। हालांकि कई सिक्योरिटी एक्सपर्ट टेलीग्राम के दावे पर सवाल भी उठाते रहे हैं।
टेलीग्राम के मुताबिक, इस एप के यूजर्स प्राइवेट ग्रुप्स बना सकते हैं। इसमें दो लाख लोगों और पब्लिक चेनलों को शामिल किया जा सकता है। जिसके पास भी यह एप डाउनलोड होगा, वह इसे देख सकता है।