जम्मू-कश्मीर में 19 से राष्ट्रपति शासन की तैयारी, राज्यपाल ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट

By Gursimran SinghFirst Published Dec 17, 2018, 11:32 PM IST
Highlights

21 नवंबर को पूरा दिन चले राजनीतिक उठापटक के बाद देर शाम राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उस वक्त विधानसभा को भंग करने का निर्णय किया जब महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन दोनों यह दावा कर रहे थे कि उनके पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक विधायकों का समर्थन है।

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के खत्म होने की अवधि पास आने से ठीक पहले सोमवार देर शाम गवर्नर सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजकर राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव किया है। 

राजभवन के एक सूत्र ने 'माय नेशन' को बताया कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में गवर्नर शासन खत्म होने के तुरंत बाद 19 तारीख से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। 

सूत्रों की मानें तो जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल से रिपोर्ट मिलने के बाद गृह मंत्रालय ने इसे आगे बढ़ा दिया और कैबिनेट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मंजूरी दे दी। 

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन तभी लगेगा जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यह घोषणा करेंगे कि राज्य के विधायकों की सभी शक्तियां संसद के अधीन होती हैं। इस घोषणा के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार को कोई भी निर्णय लेने से पहले संसद की अनुमति लेनी होगी।

यह भी पढें - जम्मू-कश्मीर में कानून से छेड़छाड़ की खबर झूठी - सत्यपाल मलिक

                 जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने के 5 कारण 

जम्मू-कश्मीर में 19 जून को भाजपा के पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद ही राज्यपाल शासन लगा था। भाजपा ने समर्थन वापस लेते वक्त पीडीपी पर जम्मू और लद्दाख की अनदेखी का आरोप भी लगाया था। उसके बाद 21 नवंबर को पूरा दिन चले राजनीतिक उठापटक के बाद देर शाम राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उस वक्त विधानसभा को भंग करने का निर्णय किया जब महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन दोनों यह दावा कर रहे थे कि उनके पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक विधायकों का समर्थन है।

जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुसार, किसी भी सरकार के न होने की स्थिति में पहले 6 महीने जहां राज्य में राज्यपाल शासन रहता है, वहीं 6 महीने के बाद यह सारी शक्तियां राष्ट्रपति के अधीन हो जाती हैं। राष्ट्रपति शासन के अधीन ही जम्मू-कश्मीर में छह माह के अंदर चुनाव होने होते हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रपति शासन को 6 महीने तक और बढ़ाया जा सकता है।  माना यह जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव भी हो सकते हैं।

click me!