फिलहाल राज्य सरकार के लाउडस्पीकरों के प्रतिबंध के मुद्दे पर भाजपा ने कमलनाथ पर हमला बोला है और राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठा या है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने पहले आदेश दिए थे कि ध्वनि प्रदूषण को कम किया जाए। जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने ये आदेश जारी किया है।
भोपाल। मध्य प्रदेश में राज्य की कमलनाथ सरकार ने लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाया है। राज्य सरकार ने रात 10 से लेकर सुबह 6 तक लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाया है। हालांकि भाजपा ने कहा कि एक धर्म विशेष के लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ये आदेश जारी किया गया है। वहीं राज्य सरकार का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया गया है।
फिलहाल राज्य सरकार के लाउडस्पीकरों के प्रतिबंध के मुद्दे पर भाजपा ने कमलनाथ पर हमला बोला है और राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठा या है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने पहले आदेश दिए थे कि ध्वनि प्रदूषण को कम किया जाए। जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने ये आदेश जारी किया है। असल में इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब सीहोर जिले (पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले) में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) इस आदेश के बाद एक मंदिर में लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।
इसके बाद राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट में यह आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने संबंधित मंदिर से लाउडस्पीकर जब्त करने का आदेश दिया है। “यह शर्मनाक है कि सरकार की ओर से लाउडस्पीकर हटाने का आदेश जारी किया गया है। सभी धर्म सीएम के बराबर होने चाहिए। शिवराज सीधे तौर पर कमलनाथ पर आरोप लगाया कि वह तुष्टिकरण की राजनीती कर रहे हैं और क्या वह अन्य धर्मों के पूजा स्थलों पर भी लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को लागू कर सकेंगे।
हालांकिं इस मामले में फंसने के बाद कांग्रेस सरकार ने साफ किया कि किसी भी मंदिर से लाउडस्पीकर हटाने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेशों के तहत दिया है। असल में राज्य के गृह विभाग ने 9 जनवरी को प्रधान सचिव (गृह) द्वारा ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए आदेश दिए गए थे। इस आदेश के तहत रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया था। लिहाजा इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिया गया था।