Sep 18, 2018, 7:19 PM IST
अलीगढ़- कुछ ही दिनों पहले अलीगढ़ में तीन साधुओं सहित छह लोगों की हत्या से सनसनी फैल गई थी। सांप्रदायिक तनाव की आशंका से पूरा इलाका सहमा हुआ था। क्योंकि हत्याएं पवित्र मंदिर परिसर में हुई थीं। पिछले एक महीने में बाहरी इलाके के पुराने मंदिरों में तीन साधुओं सहित छह लोगों की हत्या हो चुकी थी।
पुलिस की रातों की नींद हराम हो गई थी। हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के लिए उपर से पुलिस पर भारी दबाव भी था। यही वजह है कि इस मामले में राज पर से पर्दा उठाने के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछा दिया था।
लेकिन आरोपी इतने शातिर थे, कि पकड़ में ही नहीं आ रहे थे। और सबसे बड़ा सस्पेंस तो यह था, कि आखिर इन निरीह निहत्थे और गरीब साधुओं की हत्या से किसी का क्या फायदा हो सकता है। पुलिस को इस गुत्थी को सुलझाने में नाकों चने चबाने पड़े।
लेकिन आखिरकार मामला खुल ही गया और आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ गए। लेकिन इसके बाद जो कहानी सामने आई, वह साधुओं की हत्या से ज्यादा सनसनीखेज थी।
इस कांड में मुख्य आरोपी है साबिर, जो कि एटा का रहने वाला था। उसके साथ उसके बेटे सलमान सहित इरफान,यासीन,नदीम नाम के गैंग सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया है। गैंग का सरगना साबिर बेहद शातिर किस्म का यह शख्स है। पहले अनुसूचित जाति का था। लेकिन बाद में धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बन गया।
साबिर ने अपने गृह जिले एटा में जमीन विवाद में एक मुफ्ती(मुस्लिम धर्मगुरु) की हत्या कर दी थी। जिसका मुकदमा उसपर चल रहा था। साबिर इससे परेशान हो गया था। बहुत सोच-विचार करके साबिर ने मुफ्ती हत्याकांड के गवाहों को फंसाने की एक साजिश रची।
इसके लिए उसने अपनी आध्यात्मिक साधना में लीन साधुओं को चुना। उसने बेहद शातिर अंदाज में एक एक करके साधुओं की हत्या करनी शुरु कर दी। इस हत्या के दौरान साबिर बड़ी ही चतुराई से हत्यास्थल पर मुफ्ती हत्याकांड के गवाहों से जुड़ी चीजें छोड़ता था। जिससे कि पुलिस उन लोगों को गिरफ्तार कर ले और मुफ्ती हत्याकांड से उसे छुटकारा मिले।
साबिर जानता था, कि साधुओं की हत्या से सांप्रदायिक तनाव फैलने का डर रहेगा और पुलिस इसके अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए दबाव में आ जाएगी। लेकिन शातिर साबिर की यह योजना फेल हो गई और पुलिस मुखबिरों के जरिए साबिर और उसके साथियों तक पहुंच गई।
इस मामले का खुलासा होने पर साबिर को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को डीजीपी के तरफ से 50,000 रुपये, एडीजी आगरा की तरफ से 30,000 हजार रुपये, डीआईजी अलीगढ़ तरफ से 25,000 हजार रुपये, एसएसपी अलीगढ़ की तरफ से 20,000 रूपये ईनाम के रुप में मिले। इस तरह साबिर को गिरफ्तार करने वाली टीम को सवा लाख रुपए का फायदा हुआ।
हालांकि इस साबिर के गैंग के तीन सदस्य अभी भी फरार हैं। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए 25-25 हजार रुपए का ईनाम रखा है। इनके कब्जे से मोबाइल, चार देशी पिस्टल, कारतूस सहित अन्य घटना से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किये गये हैं।
इस तरह शातिर साबिर का राज खुला और पुलिस ने राहत की सांस ली।